10 फरवरी 2006 को केरल के कोल्लम जिले में एक मां ने जब पंचायत कार्यालय से घर लौटकर अपनी बेटी रंजिनी और 17 दिन के जुड़वां बच्चों को खून से लथपथ देखा, तो उसकी दुनिया उजड़ गई। रंजिनी और बच्चों के गले कटे हुए थे। पुलिस ने शुरुआती जांच में दो संदिग्धों दिविल कुमार और राजेश पर ध्यान केंद्रित किया। दोनों सैन्यकर्मी थे और उस समय पंजाब के पठानकोट सैन्य अड्डे पर तैनात थे। लेकिन दोनों आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला, और मामला ठंडा पड़ गया।

तकनीक ने किया बड़ा कमाल

19 साल बाद 4 जनवरी 2025 को सीबीआई ने पुडुचेरी से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्होंने नई पहचान बना ली थी-दिविल कुमार विष्णु के नाम से और राजेश प्रवीण कुमार के नाम से। दोनों इंटीरियर डिजाइन का काम कर रहे थे और विवाहित जीवन बिता रहे थे। इस मामले को सुलझाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बड़ी भूमिका रही।

केरल के एडीजीपी मनोज अब्राहम ने बताया कि पुलिस की तकनीकी खुफिया शाखा ने AI का इस्तेमाल कर पुरानी तस्वीरों के आधार पर उनकी वर्तमान संभावित तस्वीरें तैयार कीं। इन तस्वीरों को सोशल मीडिया से मिलाया गया, जहां राजेश की तस्वीर एक शादी की फोटो से 90% मेल खा गई। इसके आधार पर पुलिस ने राजेश को पुडुचेरी में ट्रैक किया और फिर दिविल को भी ढूंढ निकाला।

प्रेम प्रसंग से लेकर हत्या तक की कहानी

रंजिनी और दिविल का कथित तौर पर प्रेम संबंध था। जब रंजिनी गर्भवती हुई और बच्चे रखने पर अड़ी, तो दिविल ने उससे दूरी बना ली। जनवरी 2006 में रंजिनी ने जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया। इसी दौरान, राजेश ने खुद को ‘अनिल कुमार’ बताते हुए रंजिनी से दोस्ती की और मदद का वादा किया।

राजेश ने रंजिनी को एक किराए का घर दिलाने में मदद की ताकि वह रिश्तेदारों और पड़ोसियों से दूर रह सके। 10 फरवरी को उसने रंजिनी की मां संतम्मा को पंचायत कार्यालय भेजा और घर में रंजिनी और बच्चों की हत्या कर दी। पुलिस का कहना है कि यह सब दिविल के इशारे पर किया गया। पुलिस ने ‘अनिल कुमार’ की जांच के दौरान घटनास्थल से मिले एक दोपहिया वाहन के पंजीकरण प्रमाणपत्र के जरिए पठानकोट सैन्य अड्डे तक पहुंच बनाई। लेकिन आरोपी पहले ही फरार हो गए थे।

संथम्मा का संघर्ष और सीबीआई की कार्रवाई

रंजिनी की मां ने न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। 2010 में, केरल उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका पर मामले को सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने 2013 में आरोप पत्र दाखिल किया, लेकिन आरोपी तब भी फरार थे।

संतम्मा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “राजेश ने हमारी जान-पहचान का फायदा उठाया। उसने हमारी बेटी और उसके बच्चों की जान ले ली। दिविल और उसके परिवार ने मेरी बेटी के चरित्र पर सवाल उठाए, और वह अपना पितृत्व साबित करना चाहती थी। अब 19 साल बाद हमें इंसाफ की उम्मीद है।” इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी से संथम्मा और उनके परिवार को न्याय मिलने की नई उम्मीद जगी है। सीबीआई अब इस केस को अदालत में पेश कर सजा दिलाने की तैयारी में है।