Kerala Politics: केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बुधवार को कहा है कि केरल मंत्रिमंडल ने राज्य में मौजूदा जन्म प्रमाण पत्र के स्थान पर एक स्थायी, फोटो युक्त जन्म प्रमाण पत्र शुरू करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। सरकार का कहना है कि इसकी वजह से लोगों सहूलियत मिलेगी, जबकि बीजेपी ने इसे खतरनाक अलगाववादी राजनीतिक कदम बताया है।

सीएम पिनाराई विजयन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी व्यक्ति को बार-बार अपनी पहचान, जन्म या केरल में दीर्घकालिक निवास साबित करने के लिए मजबूर न किया जाए। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को अपने अस्तित्व को साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, उनकी दुर्दशा चिंताजनक है।

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कानूनी दस्तावेज होना आवश्यक है- सीएम विजयन

सीएम विजयन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसआईआर पर सवाल उठाए और कहा कि किसी को भी बेदखल नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए व्यक्ति के पास कानूनी मान्यता प्राप्त प्रामाणिक दस्तावेज होना आवश्यक है। सरकार द्वारा स्वीकार किए गए नए प्रस्ताव के तहत जन्म प्रमाण पत्र एक कानूनी रूप से मान्य दस्तावेज के रूप में काम करेगा जिसका उपयोग राज्य सरकार की सेवाओं और अन्य सामाजिक आवश्यकताओं के लिए किया जा सकता है।

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सरकारी योजनाओं में भी होगा इस्तेमाल

एक बार लागू हो जाने के बाद यह सरकारी योजनाओं के लिए लाभार्थी पहचान दस्तावेज के रूप में भी कार्य कर सकता है। मंत्रिमंडल ने राजस्व विभाग को विधि विभाग के परामर्श से जन्म प्रमाण पत्र को वैधानिक कानूनी मान्यता प्रदान करने हेतु मसौदा कानून तैयार करने और उसे मंत्रिमंडल के समक्ष अनुमोदन हेतु प्रस्तुत करने का कार्य सौंपा है। विजयन ने बताया कि तहसीलदार इन कार्डों को जारी करने के लिए जिम्मेदार होंगे।

दूसरी ओर इस घोषणा का बीजेपी ने विरोध किया है। बीजेपी ने इसे खतरनाक अलगाववादी राजनीति बताया। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि पार्टी इस फैसले को कानूनी रूप से चुनौती देगी। उनका दावा है कि केरल निवासियों के लिए एक विशेष पहचान पत्र शुरू करने का प्रस्ताव अलगाववादी संगठनों द्वारा मांगा भी नहीं गया था।

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