लक्षद्वीप दौरे के लिए परमिट की मांग करने वाले केरल के 7 सांसदों को द्वीप समूह आने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया। बताया गया है कि इन सांसदों से अच्छे बर्ताव का एक प्रमाण-पत्र लाने के लिए कहा गया है। लक्षद्वीप के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की तरफ से जारी नोटिस के मुताबिक, द्वीप समूह में एंट्री के लिए सांसदों को आवेदन फॉर्म भरने के साथ अपने एड्रेस प्रूफ और 50 रुपए की एंट्री परमिट फीस भरनी होगी। हालांकि, अब इस मामले पर विवाद गहरा गया है। दरअसल, इन सांसदों ने मामले में केरल हाईकोर्ट का रुख किया। साथ ही अपने विशेषाधिकार हनन का मामला उठाते हुए लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखी है।
प्रशासन ने सांसदों की एंट्री के लिए क्या रखी शर्त?: लक्षद्वीप प्रशासन ने सातों सांसदों से द्वीप समूह में एंट्री के लिए अपने अच्छे बर्ताव का एक प्रमाण पत्र लाने के लिए कहा है, जिस पर मजिस्ट्रेट या नोटरी के सामने हस्ताक्षर कराए गए हों। बताया गया है कि लक्षद्वीप प्रशासन इस तरह की शर्त प्रवासी मजदूरों के लिए रखता है, जो कि द्वीप समूह में काम करने के लिए आते हैं। एक केंद्र शासित प्रदेश में एंट्री के लिए प्रशासन की ऐसी शर्तों पर सांसदों ने नाराजगी जाहिर की है और इसे तर्कहीन फैसला बताते हुए अपने विशेषाधिकारों का हनन करार दिया।
इस मामले में CPM सांसद एएम आरिफ ने द टेलिग्राफ अखबार से कहा, “हमने कभी इस तरह की तर्कहीन शर्तों के बारे में नहीं सुना। हमने पहले ही इस मामले में लोकसभा स्पीकर को खत लिखा है। ये पूरी तरह जनता के प्रतिनिधियों के विशेषाधिकारों के हनन का मामला है।” बताया गया है कि ये 7 सांसद मई से ही लक्षद्वीप जाने की कोशिश में हैं। ये सभी केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल द्वारा लिए गए फैसलों और इसके असर को देखने के लिए जाना चाहते थे। हालांकि, तब उन्हें कोरोनावायरस से उभरी स्थिति को लेकर लक्षद्वीप पहुंचने से रोक दिया गया था।
सांसदों ने इस मामले में पिछले महीने ही विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाते हुए लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखी और प्रफुल्ल पटेल से भी जवाब मांगा था। पिछले हफ्ते ही अपनी एंट्री रोके जाने के मुद्दे पर इन सांसदों ने केरल हाईकोर्ट का रुख किया और मांग की कि कोर्ट लक्षद्वीप प्रशासन को एंट्री परमिट दिए जाने के निर्देश दे। बताया गया है कि द्वीप समूह में एंट्री के लिए लक्षद्वीप प्रशासन की तरफ से अच्छे बर्ताव के प्रमाण-पत्र की मांग इसके बाद ही की गई।
कांग्रेस नेताओं की भी एंट्री बैन: लक्षद्वीप प्रशासन ने शनिवार को कांग्रेस नेताओं को द्वीप समूह आने की अनुमति देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ‘ राजनीतिक क्रियाकलाप’ के लिए उनकी इस यात्रा से शांतिपूर्ण माहौल में ‘बाधा’ उत्पन्न होगी। इस द्वीप समूह में लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन के मसौदे को वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
प्रशासन ने यह भी कहा कि ऐसी भी संभावना है कि ये नेता द्वीप समूह के बहुत सारे लोगों से मिलेंगे, जिससे द्वीप समूह में कोविड और फैल सकता है। अतिरिक्त जिलाधिकारी एस असकर अली ने अपने आदेश में कांग्रेस नेताओं– टी एन प्रथपान, हिबी इडेन और ऑल इंडिया फिशरमैन कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय कानूनी सलाहकार को द्वीप पर आने की अनुमति नहीं दी और कहा कि उनकी यात्रा राजनीतिक कार्रवाई जान पड़ती है।