भीषण गर्मी ने लोगों का बुला हाल कर दिया है। उत्तर भारत में पारा 40 डिग्री के पार पहुंच गया है। दक्षिण भारत में भी लोग गर्मी से परेशान हैं। लोगों को रोजमर्रा के काम करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केरल हाईकोर्ट ने गर्मी के कारण वकीलों को गाउन पहनने की छूट दी है। वकीलों ने इससे पहले गर्मी के कारण गाउन पहनने की छूट की मांग की थी। हाईकोर्ट की राहत के बाद जिला न्यायपालिका के न्यायालयों में उपस्थित होने वाले अधिवक्ताओं को काले कोट और गाउन के उपयोग को वैकल्पिक बनाते हुए, बैंड के साथ एक सफेद शर्ट पहनने की अनुमति दे दी है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक अब हाईकोर्ट में भी उपस्थित होने वाले वकीलों के लिए गाउन पहनना वैकल्पिक होगा। यह प्रस्ताव केरल उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के एक अनुरोध पर विचार करते हुए पारित किया गया था। इसमें कहा गया था कि तेज गर्मी और राज्य भर में अधिवक्ता समुदाय के सामने आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए गाउन पहनने से छूट देने की मांग की गई थी। अब यह निर्देश 31 मई 2024 तक लागू रहेगा।
वकील क्यों पहनते हैं काला कोट?
वकीलों के काला कोट पहनने की परंपरा 1327 में एडवर्ड तृतीय द्वारा वकालत शुरू करने के समय की बताई जाती है। उस समय भी न्यायाधीशों के लिए एक अलग प्रकार की पोशाक तैयार की जाती थी। हालांकि उस समय वकीलों के लिए काले रंग की पोशाक नहीं होती थी। तब वकील लाल कपड़े और भूरे रंग के गाउन पहनते थे। तब जज सफेद रंग की विग पहनते थे। इसके बाद 1637 में एक प्रस्ताव रखा गया था। इसमें जज और वकीलों को आम जनता से कुछ अलग दिखने से पोशाक में परिवर्तन करने के लिए कहा गया। तब तय हुआ है कि वकील फुल लेंथ गाउन पहनना शुरू करेंगे। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि 1694 में क्वीन मैरी की चेचक से मृत्यु हो गई और किंग विलियम्स ने सभी न्यायाधीशों और वकीलों को शोक मनाने के लिए काले गाउन में इकट्ठा होने का आदेश दिया। इसके बाद से वकील काला कोट पहनने लगे।