Sabarimala Airport: केरल हाई कोर्ट ने प्रस्तावित सबरीमाला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के महत्वपूर्ण चरणों को रद्द कर दिया है। साथ ही कहा कि राज्य परियोजना के लिए वास्तव में आवश्यक न्यूनतम भूमि का उचित आकलन करने में विफल रहा।
राज्य सरकार ने 30 दिसंबर, 2022 को चेरुवल्ली एस्टेट और इसके बाहर स्थित अतिरिक्त 307 एकड़ भूमि सहित 2,570 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के लिए मंजूरी देने का आदेश जारी किया था। ‘अयाना चैरिटेबल ट्रस्ट’ (पूर्व में गॉस्पेल फॉर एशिया) और उसके प्रबंध न्यासी डॉ. सिनी पुन्नूसे द्वारा दायर रिट याचिका पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति सी. जयचंद्रन ने फैसला सुनाया कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजे एवं पारदर्शिता के अधिकार अधिनियम, 2013 के तहत निर्णय लेने की प्रक्रिया कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण थी।
अदालत ने अपने शुक्रवार के आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह न्यूनतम भूमि आवश्यकता की समीक्षा तक सीमित एक नया सामाजिक प्रभाव आकलन कर प्रक्रिया को दोबारा शुरू करे। इसके बाद विशेषज्ञ समूह नए सिरे से समीक्षा करे और फिर सरकार इस पर पुनर्विचार करे।
याचिकाकर्ताओं ने सरकार की कई कार्रवाइयों को चुनौती दी थी, जिनमें सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट, विशेषज्ञ समिति की समीक्षा, भूमि अधिग्रहण को मंजूरी देने वाला राज्य सरकार का आदेश तथा 2013 के अधिनियम की धारा 11 के तहत जारी की गई अधिसूचना शामिल थीं। मुख्य रूप से पथनमथिट्टा जिले की चेरुवल्ली एस्टेट की भूमि को लेकर विवाद है, जिसे सबरीमाला तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए प्रस्तावित नए हवाई अड्डे के निर्माण के लिए अधिगृहित किया जाना है।
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अदालत ने माना कि राज्य को सार्वजनिक उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण करने का अधिकार है, लेकिन कानून स्पष्ट रूप से यह अनिवार्य करता है कि किसी परियोजना के लिए केवल उतनी ही भूमि ली जाए जितनी ‘‘बिल्कुल न्यूनतम रूप से आवश्यक’’ हो।
न्यायमूर्ति जयचंद्रन ने टिप्पणी की कि अधिकारियों ने यह आकलन करने में ‘‘स्पष्ट रूप से विवेकहीनता’’ दिखाई कि वास्तव में कितनी भूमि आवश्यक थी। इसके परिणामस्वरूप, सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और सरकारी आदेश को उस सीमा तक अवैध घोषित किया गया, जहां वे इस महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने में विफल रहे। चूंकि धारा 11 के तहत अधिसूचना केवल इन चरणों के वैध रूप से पूर्ण होने के बाद ही जारी की जा सकती थी, इसलिए उसे भी रद्द कर दिया गया। शक्ति के दुरुपयोग और अधिकार के छलपूर्ण प्रयोग के आरोप पर अदालत ने कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं दिया। अदालत ने कहा कि यह मुद्दा न्यूनतम भूमि आवश्यकता के निर्धारण से जुड़ा हुआ है और इसकी समीक्षा तभी की जा सकती है, जब वह प्रक्रिया सही ढंग से पूरी हो जाए।
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