केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार से कहा कि वह प्रदर्शनकारियों द्वारा निर्माणाधीन Vizhinjam Port के प्रवेश द्वार के सामने आये रुकावटों को दूर करे। अडानी पोर्ट ने अदालत के समक्ष अदालत की अवमानना पर एक ​​​​याचिका दायर की थी, जिसमे कहा गया था कि प्रदर्शनकारियों द्वारा बनाया गया एक शेड अभी भी बना पोर्ट के प्रवेश द्वार के सामने लगा हुआ है।

न्यायमूर्ति अनु शिवरामन ने पुलिस से कहा कि प्रवेश द्वार के सामने वाहनों के गुजरने में कोई बाधा न हो, यह सुनिश्चित करें। वहीं केरल सरकार ने याचिका का विरोध किया था और कहा था कि अब वाहनों की आवाजाही में कोई दिक्कत नहीं आ रही है। हालांकि अदालत ने सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि वाहनों को रोका न जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस को प्रवेश द्वार के सामने किसी भी तरह की बाधा को दूर करने का निर्देश दिया।

मामले की अगली सुनवाई अब 7 अक्टूबर को होगी। वहीं इससे पहले 29 अगस्त को हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि Vizhinjam Port पर निर्माण को रोका नहीं जा सकता है और परियोजना के संबंध में किसी भी शिकायत को उचित मंच पर उठाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि आंदोलन के कारण चल रहे प्रोजेक्ट पर असर नहीं पड़ना चाहिए।

अडानी पोर्ट्स केरल के तिरुवनंतपुरम में Vizhinjam Port का निर्माण कर रहा है। अडानी पोर्ट ने 25 अगस्त को केरल उच्च न्यायालय में प्रदर्शनकारियों से सुरक्षा की मांग की थी। अडानी ग्रुप ने अपनी याचिका में कहा था कि आंदोलन से उसके कर्मचारियों के जीवन को खतरा है और पुलिस और सरकार इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। अडानी ग्रुप ने यह भी कहा था कि भले ही उसने सुरक्षा के लिए सरकार से गुहार लगाई हो, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया।

बता दें कि बड़ी संख्या में तटीय लोग मुल्लूर में स्थित Vizhinjam Port के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर एक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ये लोग अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं केरल के सीएम पिनारई विजयन ने हाल ही में विधानसभा में बताया था कि सरकार वहां से विस्थापित लोगों के रहने की व्यवस्था कर रही है और इसके लिए तिरुवनंतपुरम के जिला कलेक्टर को निर्देश दे दिए गए हैं।