कर्नाटक हिजाब विवाद मामले पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा, “धर्म को विभाजित नहीं करना चाहिए बल्कि लोगों को एकजुट करना चाहिए। ड्रेस कोड किसी भी संस्थान से जुड़ा मसला है। इसमें शामिल लोगों को निर्धारित अनुशासन का पालन करना चाहिए।”

उन्होंने न्यूज 18 से बातचीत में कहा कि अतीत में, उत्तर भारत में पर्दा आक्रमणकारियों के कारण आया था। लेकिन अब उत्तर भारत में महिलाएं बहुत लंबे घूंघट नहीं लगाती हैं। और उन्हें घूंघट लगाने के लिए बाध्य भी नहीं किया जाता है। समय बदलने के साथ रीति-रिवाज भी बदलते हैं।”

आरिफ खान ने कहा कि पिछली सरकारें नियम, अनुशासन तोड़ने वाले लोगों के सामने झुकती थीं। लेकिन वर्तमान सरकार ऐसा नहीं कर रही है। ऐसे बदलावों को अपनाने में समय लगेगा। केरल के राज्यपाल ने कहा कि लड़कियों और महिलाओं को पहले के मुकाबले अब अधिक आजादी मिली है। पहले उन्हें घूंघट और तीन तलाक जैसे प्रथाओं के तहत दबा दिया जाता है।

हिजाब विवाद के बीच आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि छात्रों को ड्रेस कोड के बारे में जानकारी थी। इसके बाद भी जानबूझकर शिक्षण संस्थानों में उन्होंने प्रवेश लिया था। अचानक इसके खिलाफ विद्रोह नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा, “छात्रों को कुछ राजनीतिक, गुप्त उद्देश्यों को हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।”

ताजा अपडेट: बता दें कि एक दिन पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्कूल- कॉलेज में धार्मिक कपड़े पहनने पर रोक लगाई थी और स्कूल कॉलेज को खोलने का आदेश दिया था। वहीं इसके खिलाफ यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट श्रीनिवास बीवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और तत्काल सुनवाई की बात कही थी।

इस पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मुद्दे को राष्ट्रीय बनाने की जरूरत नहीं है। बता दें कि श्रीनिवास की याचिका पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा उचित समय पर इस मामले पर सुनवाई होगी।

क्या है मामला: बता दें कि दिसंबर 2021 में कर्नाटक के उडुपी महिला पीयू कॉलेज की छह छात्राओं ने ऐसा दावा किया था कि अधिकारियों की तरफ से कथित तौर पर उन्हें हिजाब पहनकर क्लास में बैठने से मना किया गया। इसे लेकर छात्राओं ने मुख्य कॉलेज पर अपना विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। फिलहाल कर्नाटक हाईकोर्ट कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोर्ट का कहना है कि मामले का निपटारा होने तक सभी पक्ष संयम बरतें और धार्मिक परिधान न पहनें।