केरल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह ब्रह्मपुरम में नगर निगम के ठोस कचरे के अनधिकृत प्रबंधन के मद्देनजर इस जगह के पांच किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों पर पड़ने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का अध्ययन करे। हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को एर्नाकुलम के जिला अधिकारी को इस संबंध में अध्ययन करने और उसके समक्ष एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश देने का निर्देश दिया।
अदालत ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में ब्रह्मपुर अपशिष्ट स्थल के 500 मीटर, दो किलोमीटर और पांच किलोमीटर के दायरे में रह रहे लोगों की सेहत पर पड़ने वाले असर का ब्योरा शामिल होना चाहिए। यह अध्ययन बिना किसी क्रम के लिए गए नमूनों के साथ किया जा सकता है, जिसका निर्धारण जिला प्रशासन करेगा।
हाईकोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया, जिसमें स्थानीय निकायों को मानसून के दौरान जल निकायों में अपशिष्ट प्रवाह को रोकने के लिए आवश्यक उपाय करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा कि ब्रह्मपुरम में स्थानीय निकायों की तरफ उठाए गए ऐसे किसी भी कदम को उसके संज्ञान में लाया जा सकता है, जिससे वहां लोगों के लिए रहने की स्थिति और खराब हो सकती है।
ठोस कचरे को रखने के लिए बनाए जाए अस्थाई शेड
कोर्ट ने कहा कि अदालत लोगों की शिकायतों पर विचार करने के बाद आवश्यक आदेश पारित करेगी। उच्च न्यायालय ने आठ जून को पारित आदेश में यह भी कहा कि ब्रह्मपुरम में जहां भी ठोस कचरा डाला जाता है, वहां कचरे के निस्तारण से पहले उसे रखने के लिए 15 दिन के भीतर अस्थायी शेड बनाए जाने चाहिए। कोर्ट का कहना था कि कचरे की वजह से लोगों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ये बाद बेहद चिंता जनक है। सरकार को इस तरफ संजीदगी से प्रयास करने चाहिए थे। लेकिन लगता नहीं कि लोगों की सेहत को केरल सरकार गंभीरता से ले भी रही है।