Kerala Chief Secretary Racism: केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन (Sarada Muraleedharan) (59) ने बुधवार को इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “एक महिला के तौर पर अपनी बात मनवाना मुश्किल होता है। लेकिन जब आप गहरी त्वचा वाली महिला होती हैं, तो लोग आपको पूरी तरह नजरअंदाज कर देते हैं।” उन्होंने यह टिप्पणी अपने सोशल मीडिया पोस्ट के एक दिन बाद की, जिसमें उन्होंने त्वचा के रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई थी।

मुरलीधरन ने कहा- भारत में त्वचा के रंग को लेकर गहरी रूढ़ियां हैं

मुरलीधरन ने कहा कि भारत में त्वचा के रंग को लेकर गहरी रूढ़ियां हैं, जो जातिवाद से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा, “यह एक कड़वी सच्चाई है कि निचली जातियों और अत्यंत गरीब लोगों को अकसर ‘काला’ कहकर पुकारा जाता है। हमारे समाज में गहरे रंग को लेकर पूर्वाग्रह हैं।”

उन्होंने बताया कि उनकी जाति सार्वजनिक न होने के कारण लोगों के बीच हमेशा भ्रम बना रहा कि समाज के जातिगत ढांचे में उन्हें कहां रखा जाए। “पहले लोग मानते हैं कि मैं मलयाली नहीं हूं। फिर मेरे नाम के आधार पर वे मुझे ऊंची जाति का समझते हैं। लेकिन जब वे मेरा रंग देखते हैं, तो भ्रमित हो जाते हैं।”

मुरलीधरन ने कहा कि नौकरशाही में भी यह भेदभाव दिखाई देता है। “यहां तक कि जब आप शीर्ष पदों पर होते हैं, तब भी यह मायने रखता है कि कौन बोल सकता है, किसे सुना जाता है और किसकी अनदेखी होती है। यदि आप सत्ता संरचना के शीर्ष पर नहीं हैं, तो अपनी आवाज़ बुलंद करना और भी कठिन हो जाता है।”

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उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में हल्के रंग की त्वचा को सुंदर, स्वीकार्य और कुशल माना जाता है, जबकि गहरे रंग वालों के प्रति नकारात्मक रवैया रहता है।

मंगलवार को फेसबुक पोस्ट में मुरलीधरन ने बताया कि एक व्यक्ति ने उनकी त्वचा के रंग को लेकर अपमानजनक टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “मेरे कार्यकाल को ‘काला’ और मेरे पति के कार्यकाल को ‘सफेद’ कहा गया। यानी, मेरे रंग के कारण मेरे काम को घटिया और मेरे पति के काम को बेहतरीन बताया गया।” उन्होंने बताया, “मुख्य सचिव के रूप में मेरे कार्यकाल पर यह कहा गया कि यह उतना ही ‘काला’ है, जितना मेरे पति का कार्यकाल ‘सफेद’ था।”

गौरतलब है कि उनके पति वी वेणु 31 अगस्त 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे, जिसके बाद मुरलीधरन ने मुख्य सचिव का पदभार संभाला।

अपने संघर्ष को साझा करते हुए उन्होंने लिखा, “पचास वर्षों से मुझे यह अहसास दिलाया गया कि मेरा रंग अच्छा नहीं है। लेकिन काले रंग को क्यों बदनाम किया जाता है? काला ब्रह्मांड का सत्य है, यह सबसे शक्तिशाली ऊर्जा को समेटे हुए है। यह हर किसी पर फबता है – चाहे ऑफिस वियर हो, शाम की पोशाकें हों या काजल का गहरा रंग।”

उन्होंने यह भी बताया कि उनके बच्चों ने उन्हें सिखाया कि “काला रंग खूबसूरती और भव्यता का प्रतीक है। मुझे अपना रंग पसंद है।” मुरलीधरन ने कहा, “जब से होश संभाला, मुझे यह एहसास था कि मेरी त्वचा का रंग गहरा है। यह कोई नया अहसास नहीं था, जो मुझे किशोरावस्था या कॉलेज में हुआ।”

1990 बैच की आईएएस अधिकारी मुरलीधरन ने सरकारी सेवा में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। उन्होंने कुदुम्बश्री स्वयं सहायता समूह, ग्रामीण विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और पंचायती राज मंत्रालय में अहम भूमिका निभाई है। वह एक महीने में सेवानिवृत्त होने वाली हैं।