जोशीमठ में पिछले दिनों भू-धंसाव के कारण बदरीनाथ जाने वाला रास्ता कई जगह से दरकने के कारण पहले से ही खतरनाक बना हुआ है और अब केदारनाथ में पैदल मार्ग में भारी बर्फबारी होने के कारण कुबेर हिमनद (ग्लेशियर) पर फिर से हिमनद (ग्लेशियर) आने के कारण यात्रा मार्ग आवाजाही अवरुद्ध हो गई है। पिछले दिनों केदारनाथ का यह पैदल मार्ग बनकर तैयार हो गया था।
केदारनाथ यात्रा शुरू होने में 22 दिन बचे हुए हैं और बार-बार इस मार्ग पर प्राकृतिक रूप से बाधाएं आ रही हैं। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने 15 अप्रैल तक यह मार्ग दुरुस्त करने के आदेश अधिकारियों को दिए थे, परंतु जिस तरह से लगातार मौसम का मिजाज बदलने से इस कार्य मैं बाधाएं आ रही हैं, उसे देखते हुए समय सीमा के अंतर्गत यह कार्य करना संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम के दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं में सबसे ज्यादा आकर्षण रहता है।
रुद्रप्रयाग के जिला प्रशासन के मुताबिक केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग से बर्फ को हटाने का कार्य पूरा करते हुए हुए आवाजाही के लिए खोल दिया गया था किन्तु पिछले दिनों केदारनाथ धाम में बार-बार मौसम खराब होने व भारी बर्फबारी के कारण काम में बार-बार रुकावट आ रही है। केदारनाथ की पैदल यात्रा मार्ग में पानी की लाइन बिछाने, उसकी मरम्मत करने, स्टैंड पोस्ट लगाने, घोड़े खच्चरों के लिए रास्ता बनाने का काम करना है। मौसम खराब होने से इस काम में लगातार रुकावट आ रही हैं।
वही सुलभ इंटरनेशनल द्वारा यात्रा मार्ग में शौचालयों का निर्माण किया जाना है, यह कार्य भी लगातार बाधित हो रहा है। यात्रा मार्ग में स्वास्थ विभाग द्वारा जगह जगह स्वास्थ्य चिकित्सा शिविर भी लगाए जाने हैं। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित का कहना है कि प्रशासन को मौसम के बदलते मिजाज के कारण विपरीत परिस्थितियों में काम करना पड़ा है परंतु प्रशासन रात दिन काम में जुटा है और यात्रा शुरू होने से पहले काम पूरा कर लिया जाएगा।
अपने ‘मायके’ में गंगा है मैली
जहां पूरी राज्य सरकार चार धाम की तैयारियों में जुटी है, वहीं उत्तरकाशी के जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण अपने मायके गंगोत्री में ही गंगा मैली हो रही है और प्रशासन की लापरवाही के कारण कूड़े कचरा एकत्रित है। यह भगीरथी की धारा के पास बना जमा हुआ है। पांच साल पहले उत्तरकाशी जिले की नगर पालिका बाड़ाहाट ने तांबाखाणी सुरंग से लगी सड़क के किनारे कूड़ा घर बनाया था। भगीरथी इस सुरंग के और शहर के ठीक बीच में बहती है। आगे ऋषिकेश पहुंच कर यही भगीरथी नदी पवित्र गंगा के नाम से जानी जाती है।
बाड़ाहाट नगर पालिका का कहना है कि शहर में कहीं भी कूड़ाघर बनाने के लिए जगह नहीं है। यहां क्षमता से अधिक एकत्र कूड़ा अब पहाड़ का रूप ले चुका है। यह कूड़ा नीचे नदी में गिर रहा है और ऊपर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी फैल रहा है। बारिश होने पर कूड़े का पानी सीधे नदी में मिल जाता है। कूड़े से उठती बदबू पूरे शहर में फैल रही है। इस कारण क्षेत्र से निकलना भी दूभर है। लगभग 15 टन कूड़ा रोजाना इस क्षेत्र से निकलता है।
80 हजार आबादी क्षेत्र की है। चार धाम यात्रा के वक्त उत्तरकाशी में रोजाना 20 टन कूड़ा जमा होता है। पालिका क्षेत्र में 11 वार्ड हैं। पालिका क्षेत्र करीब 12 वर्ग किमी के दायरे में फैला हुआ है, परंतु नगर पालिका की तिलोथ के समीप कूड़ा निस्तारण केंद्र के निर्माण की योजना अधर में लटकी हुई है। इसके लिए प्रशासन ने उत्तरकाशी-लंबगांव रोड पर पालिका को आठ नाली भूमि उपलब्ध कराई थीं। पालिका ने 3.12 करोड़ का ब्योरा भी तैयार किया था लेकिन मंजूर 2.58 करोड़ रुपए ही हुए हैं। ढाई करोड़ से भूमि समतलीकरण व सुरक्षा दीवार का निर्माण किया गया। भ्रष्टाचार की भेंट यह योजना चढ़ गई और कूड़ा निस्तारण केंद्र की योजना अधर में लटकी हुई है।
जल्द हटेगा कूड़ा
उत्तरकाशी जिले के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला का कहना है कि कूड़े को हटाने के लिए निविदा के माध्यम से एजंसी का चयन कर लिया गया है। जल्दी ही कूड़े को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी और नगर पालिका के अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।