केदारनाथ में 5 नवंबर को होने वाले पीएम मोदी के दौरे से पहले एक नया विवाद सामने आ गया है। सोमवार को बीजेपी नेताओं को यहां काफी विरोध का सामना करना पड़ा और पुरोहितों ने उन्हें काले झंडे दिखाए।
दरअसल उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक केदारनाथ में पीएम मोदी के दौरे से पहले की व्यवस्था देखने पहुंचे थे, लेकिन उन्हें पुरोहितों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। पूर्व सीएम तो मंदिर तक भी नहीं पहुंच सके और बाबा के दर्शन के वगैर वापस लौटने को मजबूर हो गए।
दरअसल पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत जब केदारनाथ पहुंचे तो हेलीपैड से मंदिर के रास्ते में ही उनका विरोध शुरू हो गया और तीर्थ पुरोहितों ने उन्हें काले झंडे दिखाए। इस दौरान उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी भी हुई। माहौल को देखते हुए उन्हें वापस लौटना पड़ा।
उनसे पहले दूसरे हेलिकॉप्टर से कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत और मदन कौशिक भी केदारनाथ पहुंचे थे, लेकिन उन्हें भी मंदिर परिसर में पुरोहितों का विरोध झेलना पड़ा। हालांकि ये दोनों नेता किसी तरह मंदिर तक पहुंच गए और भगवान केदारनाथ के दर्शन किए।
बता दें कि 2 साल पहले जब त्रिवेंद्र सिंह सीएम थे, उसी समय चारधाम सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के रखरखाव और प्रबंधन के लिए चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के गठन के प्रावधान का अधिनियम पारित किया गया था। ऐसे में चारों धामों के पुरोहितों का कहना है कि इस बोर्ड की वजह से उनके पारंपरिक अधिकारों का हनन हो रहा है और इसीलिए ये पुरोहित पूर्व सीएम का विरोध कर रहे थे।
पुरोहितों ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार इस मामले को लेकर जल्द ही कोई फैसला नहीं लेती तो उनका आंदोलन उग्र हो जाएगा और इसका नतीजा आने वाले विधानसभा चुनाव में दिखाई देगा।
बता दें कि पुष्कर सिंह धामी जब उत्तराखंड के सीएम बने थे, तो उन्होंने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम के मुद्दे पर सुझाव देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। कहा जा रहा है कि इस समिति ने बीते महीने अपनी रिपोर्ट दे दी है, लेकिन ये रिपोर्ट अभी पब्लिक नहीं हुई है।
