महेश केजरीवाल
बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना वाली जगह पर ट्रेनों के संचालन में सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ की सुविधा नहीं थी। देश में रेलवे नेटवर्क में केवल 1455 किलोमीटर पर ही कवच प्रणाली काम कर रही है। रेलवे ने बताया कि रेलगाड़ियों को टकराने से रोकने वाली प्रणाली ‘कवच’ इस मार्ग पर उपलब्ध नहीं है। भारतीय रेलवे के प्रवक्ता ने शनिवार को कहा कि एसई (दक्षिण-पूर्वी) प्रखंड के सीआरएस (रेलवे सुरक्षा आयुक्त) ए एम चौधरी हादसे की जांच करेंगे।
एनएफआइआर के महासचिव एम राघवैया ने कहा कि बालासोर रेल हादसा चंद सेकेंड में हुआ। ऐसे में कवच होने की स्थिति में भी हादसे को रोका जा सकता था या नहीं यह कहना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि रेलवे में संरक्षा वर्ग में 40 हजार पद रिक्त है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा और संरक्षा वर्ग रिक्त पदों पर भर्ती को लेकर रेल मंत्री से भी मिले थे।

दूसरी तरफ एआइआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि यांत्रिक गड़बड़ियों के कारण इस प्रकार के हादसे होते है। हालांकि उन्होंने पटरियों पर बढ़ते यातायात के दवाब से इनकार नहीं किया। रेलवे के अनुसार अभी यह स्पष्ट नहीं है कि हादसा किस वजह से हुआ। लेकिन सूत्रों ने संकेत दिया है कि इसका संभावित कारण सिग्नल में गड़बड़ी होना है। रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने कहा कि बचाव अभियान पूरा हो गया है। हम अब बहाली प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं। इस मार्ग पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी। रेलवे अपने नेटवर्क में ‘कवच’ प्रणाली उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है, ताकि रेलगाड़ियों के टकराने से होने वाले हादसों को रोका जा सके।
केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने कहा कि यह हादसा मानवीय गलती से हुआ है या तकनीकी कारण से हुआ है, इसके लिए उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है। ‘कवच’ स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा व्यवस्था है इसे भारतीय रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में देखा जा रहा है।
रेलवे के अनुसार पिछले साल मार्च में कवच प्रोद्योगिकी का सफल परीक्षण किया गया था। इस दौरान एक ही पटरी पर दौड़ रही दो ट्रेनों में से एक गाड़ी में केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे और दूसरी ट्रेन के इंजन में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष मौजूद थे। एक ही पटरी पर आमने सामने आ रहे ट्रेन और इंजन ‘कवच’ प्रौद्योगिकी के कारण टकराए नहीं, क्योंकि कवच ने रेल मंत्री की ट्रेन को सामने आ रहे इंजन से 380 मीटर दूर ही रोक दिया और इस तरह परीक्षण सफल रहा।

वर्तमान में दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा गलियारे (3,000 रूट किलोमीटर) पर ‘कवच’ का काम चल रहा है। रेलवे के अनुसार कवच को हर साल 4,000 से 5,000 किलोमीटर तैयार किया जाएगा। कवच का मतलब ट्रेनों को खतरे (लाल) पर सिग्नल पास करने से रोकना और टक्कर से बचने के लिए सुरक्षा प्रदान करना है। यदि चालक गति प्रतिबंधों के अनुसार ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहता है तो यह स्वचालित रूप से ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को सक्रिय करता है। इसके अलावा, यह कार्यात्मक कवच प्रणाली से लैस दो इंजनों के बीच टकराव को रोकता है।
