जम्मू कश्मीर के कठुआ में सेना के वाहन पर ग्रेनेड से हमले के बाद पांच जवान शहीद हो गए हैं।  शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकवादी थे। जिन्हें लोकल गाइड का सहयोग मिला हुआ था।  आतंकियों के पास US मेड M-4 कार्बाइन राइफल भी मौजूद थी। इस आर्टिकल में हम चर्चित M-4 कार्बाइन राइफल के बारे में जानेंगे। जिसे बनाने वाला तो अमेरिका है लेकिन इस्तेमाल कई देश कर रहे हैं। 

M-4 कार्बाइन राइफल : आतंकियों तक कैसे पहुंची? 

अमेरिका को हथियार बनाने वाले देशों की फेहरिस्त में दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने मार्च 2023 में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके  मुताबिक  2013-17 और 2018-22 के बीच अमेरिका के हथियारों के निर्यात में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई थी। 

एक आकलन यह भी कहता है कि अमेरिका ने शांति समझौते के तहत जब अफगानिस्तान से वापसी की तो   8,84,311 आधुनिक सैन्य उपकरण वहीं छोड़ आया था।  इनमें M16 रायफल, M4 कार्बाइन भी शामिल थे। अब यह आतंकियों के पास कैसे पहुंची? इस सवाल की जानकारी स्पष्ट नहीं है लेकिन अलग-अलग हमलों में आतंकियों ने इस राइफल का इस्तेमाल किया है।

M4 कार्बाइन के बारे में : कितना शक्तिशाली है यह हथियार 

M4 कार्बाइन राइफल 1980 के दशक के दौरान अमेरिका में निर्मित एक हल्की और गैस-संचालित गन है। यह अमेरिकी सशस्त्र बलों का प्रमुख हथियार है और इसका इस्तेमाल 80 से अधिक देश करते हैं। M4 को नज़दीकी लड़ाई के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह बहुत ही मारक है। यह अलग प्रकार की युद्ध स्थितियों के लिए सटीक, विश्वसनीय और उपयुक्त भी है। इसलिए इसका उपयोग सैन्यकर्मी करते हैं।

यूनाइटेड स्टेट्स मरीन कॉर्प्स (USMC) ने अपने अधिकारियों (लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक) और गैर-कमीशन अधिकारियों को M9 पिस्तौल के बजाय M4 कार्बाइन ले जाने का आदेश दिया था। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह किस क्षमता की राइफल है। M4 का इस्तेमाल AR-15 के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों द्वारा भी किया जाता है। यह एक बेहतरीन राइफल मानी जाती है।