हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में भड़की हिंसा करीब एक महीने बाद भी ठीक नहीं हो सकी। जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर सोमवार को राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। मुलाकात में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर भी मौजूद रहे हैं। गृह मंत्री से मुलाकात के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘मैं उम्मीद करती हूं पीएम मोदी जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ संवाद (बातचीत) करेंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे।’ उन्होंने कहा कि जरूरी है कि वाजपेयी जी के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर के लोगों का दिल जीतने के लिए जो प्रयास किए गए थे, उन्हें फिर से दोहराया जाए।

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मेरा मानना है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों का घाव भरने के लिए संवाद की जरुरत है। वह हमारे अपने लोग है अगर बातचीत की प्रक्रिया से जम्मू-कश्मीर के लोगों की स्थिती सुधरती है तो हम ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक ब्रिज का काम कर सकता है अगर सही तरीके से बातचीत की प्रक्रिया शुरू की जाए। गौरतलब है कि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के एक मुठभेड़ में आठ जुलाई को मारे जाने के बाद प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुए संघर्षों में 54 लोगों की मौत हो गयी और 6,000 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। राज्य में अभी तक हिंसा जारी। इसी मामले पर चर्चा करने के लिए मुफ्ती को दिल्ली बुलाया गया था।

बैठक ऐसे दिन हुई है जब घाटी में कर्फ्यू जारी रहने का मुद्दा संसद में गूंजा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने शून्य काल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए सरकार की ओर से सामान्य स्थिति बहाली के लिए उठाये जाने वाले कदमों के बारे में प्रधानमंत्री से एक बयान की मांग की। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी परिस्थितियों मेें हम सरकार को जगाना चाहते हैं….हम महसूस करते हैं कि सरकार और प्रधानमंत्री एक मूकदर्शक की तरह स्थिति को बिगड़ते हुए देख रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि मोदी ने कश्मीर की गंभीर स्थिति पर अभी तक कुछ क्यों नहीं बोला।