कश्मीर में 15 दिनों की गर्मी की छुट्टी के बाद स्कूल फिर से खुल गए हैं। छात्रों और अभिभावकों ने गर्मी के कारण सुबह जल्दी क्लासेज शुरू करने और शिक्षा के हाइब्रिड मोड को लागू करने के सरकार के फैसले पर चिंता व्यक्त की है। सोमवार को जम्मू-कश्मीर सरकार ने गर्मी की छुट्टियों को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया क्योंकि मौसम विभाग ने तापमान में गिरावट की भविष्यवाणी की थी।
हालांकि सरकार ने निर्देश दिया कि शहरी क्षेत्रों में सुबह 7:30 बजे और ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह 8 बजे स्कूल खुलने चाहिए। इसके अलावा स्कूलों को दोपहर में ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने का निर्देश दिया गया।
टाइमिंग को लेकर दिक्कत
हालांकि अभिभावकों ने स्कूलों को फिर से खोलने के सरकार के फैसले का स्वागत किया, लेकिन वे समय को लेकर उतने उत्साहित नहीं थे। एक लड़के और एक लड़की के माता-पिता जुबैर अहमद ने कहा, “सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। मेरे बच्चों को अपनी बस से स्कूल पहुंचने में डेढ़ घंटे लगते हैं। इस नए शेड्यूल के साथ, उन्हें सुबह 6 बजे घर से निकलना होगा। वे कब उठेंगे, नाश्ता करेंगे और तैयारी करेंगे?”
चिंताजनक! कश्मीर में ये क्या हो रहा है… पांच साल पहले किसी ने ऐसा सोचा न था
अभिभावकों ने कहा कि गर्मी की छुट्टियों को बस कुछ दिनों के लिए बढ़ाया जा सकता था। कक्षा 5 के छात्र की मां तबस्सुम रशीद ने कहा, “ऐसा लगता है कि यह निर्णय AC कमरों में बैठकर लिया गया है। निजी स्कूलों में न्यूनतम बुनियादी ढांचा है, और सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बमुश्किल ही कोई पंखा है।”
47 प्रतिशत स्कूलों में पीने का पानी नहीं
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर के 47 प्रतिशत स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा भी नहीं है। विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में सरकार ने मार्च में कहा था कि 8,807 स्कूल पीने के पानी के बिना संचालित हो रहे हैं। 2023 के आधिकारिक सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर के 60 प्रतिशत से अधिक सरकारी स्कूल बिजली के बिना हैं। छात्रों के घर पहुंचने के बाद ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने के निर्णय की भी आलोचना हुई। सरकारी आदेश में जिक्र किया गया है कि सुबह 11:30 बजे बंद होने वाले स्कूल दोपहर 12:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करेंगे।
श्रीनगर के एक निजी स्कूल के शिक्षक ने बताया, “जब बच्चे 11:30 बजे स्कूल से निकलेंगे, तो वे 12:30 बजे तक घर पहुंच जाएंगे और उन्हें ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करनी होंगी।” वहीं हज़रतबल के अख्तर हुसैन ने पूछा, “जब ज़्यादातर माता-पिता काम पर बाहर हैं, तो बच्चे ऑनलाइन क्लास कैसे लेंगे? क्या इसका मतलब यह है कि हमें अब हर छात्र के लिए नए उपकरण खरीदने होंगे? अगर हम ऐसा कर भी लें, तो माता-पिता की अनुपस्थिति में बच्चे इन गैजेट का इस्तेमाल कैसे करेंगे, इसकी निगरानी कौन करेगा?”
पूर्व शिक्षा मंत्री और पीडीपी नेता नईम अख्तर ने भी इस घटनाक्रम पर अपनी राय रखते हुए कहा, “यह सरकार जलवायु विकार से निपटने में बुरी तरह विफल रही है और बच्चों को प्रयोगशाला के प्रयोगों की तरह इस्तेमाल कर रही है। आज के मौसम विज्ञान उपकरणों के साथ, इसमें कोई रॉकेट साइंस शामिल नहीं है। कल्पना कीजिए कि ज़कूरा का एक बच्चा बडगाम के एक स्कूल में आता-जाता है और फिर ऑनलाइन क्लास लेता है।”