काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर 37 किलोग्राम सोने से परत चढ़ाने का काम पूरा हो गया है। बता दें कि मंदिर ट्रस्ट के एक अधिकारी ने कहा कि गर्भगृह के अंदर की दीवारों पर 37 किलो सोने की परत चढ़ाई गई है। इस काम को तीन दिनों में 25 फरवरी से 27 फरवरी तक पूरा कर लिया गया। हालांकि जानकारी के मुताबिक इसके लिए एक पखवाड़े पहले ही प्रयास शुरू हुआ था।

बताया जा रहा है कि अब अगले चरण में बाहरी दीवारों पर भी सोने की परत चढ़ाई जाएगी। नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि दक्षिण भारत के एक गुमनाम भक्त ने 60 किलोग्राम से अधिक सोना मंदिर के लिए दान किया था। जिसमें 37 किलोग्राम सोना मंदिर की आंतरिक दीवारों चढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

वहीं भाजपा सूत्रों ने कहा कि दक्षिण भारत के एक व्यवसायी ने अंदर की दीवारों के लिए 37 किलो दान किया है। जोकि पीएम नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन के “वजन के बराबर” है। पार्टी नेताओं के अनुसार, व्यवसायी ने महसूस किया कि यह दान भक्तों के लिए बने कॉरिडोर के लिए पीएम मोदी का आभार व्यक्त करने का एक तरीका है।

अधिकारियों ने कहा कि मंदिर में पिछली बार 18वीं शताब्दी में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह द्वारा सोने की परत चढ़ाई गई थी। तब उन्होंने गुंबद को ढकने के लिए लगभग 23 “मन” सोने की पेशकश की गई थी। ट्रस्ट अधिकारी ने कहा, “यह पहली बार है जब किसी ने मंदिर के लिए इतनी बड़ी मात्रा में सोना दान किया है। इससे पहले, लोग आभूषण के रूप में सोना दान करते थे।”

बता दें कि गर्भगृह दीवारों में 12 फीट की ऊंचाई तक संगमरमर और इसके ऊपर लाल बलुआ पत्थर गुंबद तक लगा हुआ है। मंदिर ट्रस्ट के अधिकारी ने कहा कि प्रार्थना के लिए जलाए जाने वाले दीयों के धुएं से संगमरमर पर पैच दिखाई दिए थे। इसे कई प्रयासों के बाद भी साफ नहीं किया जा सका। अधिकारी ने कहा कि गर्भगृह के चारों दरवाजों पर लगी चांदी की परत को भी जल्द ही सोने से बदला जाएगा।

मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश मिश्रा ने कहा, “सोना की परत लगाने से मंदिर की आभा और बढ़ती है। प्रकाश में आने पर यह यह चमकता है।” उन्होंने कहा कि यह मंदिर अपनी तरह का अनूठा होगा जब चौखटों और बाहरी दीवारों पर सोने की परत चढ़ाई जाएगी।