देशभर में लोग करवा चौथ मनाने का इंतजार ही करते रह गए और मौसम ने कुछ इस तरह करवट ली कि चांद बादलों में जा छिपा। ऐसे में सोशल मीडिया पर लोग खूब रिएक्शन दे रहे हैं। एक तरफ महिलाएं चांद के दीदार के लिए परेशान दिखीं, वहीं दूसरी तरफ क्रिकेट मैच का लुत्फ उठा रहे लोगों को भी दिक्कत हुई।
कहां कहां दिखा चांद
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में साफ मौसम के चलते चांद को देखा जा सका। करवा चौथ की पूजा का शुभ मुर्हुत शाम 6.55 से लेकर 8.51 तक बताया जा रहा था, ज्यादातर राज्यों में चंद्र दर्शन इसी समय में देखने को मिले। उत्तर प्रदेश के अलावा असम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार समेत कई राज्यों में महिलाओं ने दर्शन करके व्रत तोड़ा।
ट्विटर यूजर रोहित चालवाड़ी (@Rohit72189999) ने लिखा कि महिला मंडली, पतियों के साथ टीम इंडिया के लिए भी प्रार्थना कर दो।
फ्रस्टोनियो अंग्रोनियो (@furious_fella) ने हैशटैग नोएडा के साथ लिखा कि हमारे यहां तो बारिश हो रही है।
क्या है करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं। इस बार ये व्रत 24 अक्टूबर को पड़ा।इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रोदय के बाद चंद्र दर्शन करके व्रत खोलती हैं। इस व्रत में शाम के समय विधि विधान से पूजा की जाती है। जिसके बाद व्रत कथा सुनना बेहद अनिवार्य माना जाता है। मान्यता है इस कथा को पढ़ने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
करवा चौथ शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 24 अक्टूबर सुबह 3 बजकर 2 मिनट से शुरू
चतुर्थी तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक
पूजन के लिए शुभ मुहूर्त: 24 अक्टूबर 2021 को शाम 6 बजकर 55 से लेकर 8 बजकर 51 तक
चन्द्रोदय का समय: शाम 7 बजकर 51 मिनट पर होगा
करवा चौथ से जुड़ी मान्यता
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत सौभाग्य, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रती को शिव परिवार और भगवान गणपति की पूजा करनी चाहिए।
करवा चौथ पूजा
इस दिन सुहागिन महिलाओं को सूर्योदय से पहले उठाकर स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ कपड़े धारण करने चाहिए। फिर घर के मंदिर की साफ-सफाई करें। फिर व्रत का संकल्प लें। महिलाएं इस मंत्र के जरिए करवा चौथ के व्रत का संकल्प ले सकती हैं- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।‘ आप चाहें तो पूजा के स्थान पर मां करवा और स्याहु की तस्वीर बना लें या फिर बाजार से लाए हुए कैलेंडर का भी पूजा के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं।