भारत सरकार ने सोमवार को कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ करतारपुर साहिब कॉरिडोर का संचालन शुरु करने के लिए तैयार है। हालांकि भारत ने पाकिस्तान द्वारा सिख तीर्थयात्रियों से वसूली जाने वाली फीस पर निराशा जाहिर की है। बता दें कि पाकिस्तान करतारपुर साहिब गुरुद्वारे जाने वाले भारतीय सिख तीर्थयात्रियों से 20 डॉलर की फीस वसूल करेगा। भारत सरकार के अनुरोध के बावजूद पाकिस्तान सरकार इस फीस को हटाने के लिए तैयार नहीं है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह 23 अक्टूबर को एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं, ताकि 12 नवंबर से पहले करतारपुर साहिब कॉरिडोर का संचालन शुरु किया जा सके।
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच एग्रीमेंट होने के बाद सिख तीर्थयात्री भारतीय पंजाब के डेरा नानक गुरुद्वारे से पाकिस्तान में स्थित करतारपुर साहिब गुरुद्वारे बिना वीजा के आ जा सकेंगे। सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि “उन्हें समझौता मंजूर है, लेकिन वह पाकिस्तान की सरकार से एक बार फिर फीस वसूलने के फैसले पर विचार करने को कहेंगे। भारत समझौते में उसके अनुरुप बदलाव के लिए किसी भी समय तैयार है।”
भारत और पाकिस्तान के बीच एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर होने के साथ ही तीर्थयात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरु हो जाएंगे। पाकिस्तान आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने में 6 दिन और यात्रा से पहले की औपचारिकताओं में 4 दिन का समय लेगा। तीर्थयात्रियों के नाम पाकिस्तानी अथॉरिटीज द्वारा ही क्लीयर किए जाएंगे।
MEA: While agreeing to sign the Agreement, the Government of Pakistan has been once again urged to reconsider its insistence to levy service fee of $20 on pilgrims. India would be ready to amend the Agreement accordingly at any time.
— ANI (@ANI) October 21, 2019
केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल का कहना है कि 9 नवंबर को 550 सिख तीर्थयात्रियों का पहला जत्था करतारपुर जाएगा। बता दें कि 9 नवंबर को ही करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन होगा। हरसिमरत कौर बादल ने केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात करेंगी। इस मुलाकात में करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन समारोह के संबंध में बातचीत होगी। करतारपुर गुरुद्वारा सिख श्रद्धालुओं के लिए दूसरा सबसे पवित्र स्थान है। दरअसल करतारपुर में ही सिखों के पहले गुरु गुरुनानकदेव जी ने अंतिम सांस ली थी। सिख श्रद्धालुओँ द्वारा लंबे समय से करतारपुर कॉरिडोर को खोले जाने की मांग की जा रही थी।

