कर्नाटक कांग्रेस सरकार की अपनी दूसरी गारंटी योजना सभी बीपीएल परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो खाद्यान्न प्रदान करने वाली अन्ना भाग्य स्कीम को लागू करने की तैयारी को एक बड़ा झटका लगा है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने एक नोट जारी कर भारतीय खाद्य निगम (FCI) के स्टॉक से राज्य सरकारों को गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी है।
इसकी निंदा करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह कर्नाटक को गरीबों को अनाज की आपूर्ति करने से रोकने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लिया गया एक “राजनीतिक निर्णय” है।
कर्नाटक सरकार ने एफसीआई से 2.28 लाख मीट्रिक टन मांगा था
कर्नाटक सरकार ने अन्न भाग्य योजना के तहत अनाज की आपूर्ति के लिए एफसीआई से 2.28 लाख मीट्रिक टन मांगा था। सिद्धारमैया ने कहा कि एफसीआई ने 12 जून को दो पत्रों में लगभग 2.22 लाख मीट्रिक टन की आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की थी। लेकिन एक दिन बाद मंगलवार को केंद्रीय मंत्रालय का एफसीआई को राज्य सरकारों को अनाज बेचने के खिलाफ निर्देश आया।
सीएमओ द्वारा साझा किए गए पत्र में कहा गया है: “एफसीआई ओपन मार्केट सेल स्कीम (घरेलू) (ओएमएसएस-डी) के तहत कीमतों पर नियंत्रण के लिए आवश्यकता के अनुसार केंद्रीय पूल स्टॉक से निजी पार्टियों को चावल की बिक्री कर सकता है।राज्य सरकारों के लिए ओएमएसएस (डी) के तहत गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी गई है।”
पत्र में आगे कहा गया है कि इसके अपवाद पूर्वोत्तर, पहाड़ी राज्य और कानून व्यवस्था की स्थिति या प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वाले राज्य हैं। उनके लिए एफसीआई 3,400 रुपये प्रति क्विंटल की मौजूदा दर से गेहूं और चावल की आपूर्ति जारी रखेगी।
सिद्धारमैया ने दावा किया कि सात लाख टन चावल का स्टॉक होने के बावजूद केंद्र राज्यों को एफसीआई की बिक्री रोक रहा है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक ने चावल की खेती करने वाले राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, तेलंगाना और अन्य से संपर्क किया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसकी योजना बाधित न हो और इसे 1 जुलाई से लागू किया जाए। 36.6 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल प्राप्त करने की उम्मीद पर कर्नाटक द्वारा अभी इस योजना के लिए निर्धारित मासिक व्यय 840 करोड़ रुपये है।