कर्नाटक सरकार ने पुलिस के कहने के बावजूद 21 से ज्यादा सांप्रदायिक केसों को वापस ले लिया है। इनमें से कई सारे मामले गोरक्षा से भी जुड़े हुए थे। सांप्रदायिक केसों को वापस लेकर कर्नाटक सरकार ने भाजपा के कई बड़े नेताओं को राहत दी है। इन नेताओं में भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा का नाम भी शामिल है। साथ ही इनमें हिन्दू समूहों के करीब 206 सदस्य और मुस्लिम संगठनों के करीब 106 लोग शामिल हैं।
21 दिसंबर 2020 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि कर्नाटक सरकार द्वारा 31 अगस्त 2020 को पारित किये गए आदेश के अनुसार अब इन मामलों में कोई भी कारवाई नहीं की जाएगी। आपको बता दूँ कि इनमें से अधिकांश मामले 2014 से 2019 के बीच हुए हैं। दरअसल इस मामलों को हटाने का अनुरोध राज्य सरकार में लघु सिंचाई मंत्री जेसी मधुस्वामी , पशुपालन मंत्री प्रभु चव्हान और बीजेपी विधायक सुनील नाईक ने किया था। हालाँकि पुलिस और न्याय विभाग ने इन केसों को ना हटाने की वकालत की थी लेकिन इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने सभी दलीलों को नजरअंदाज करते हुए सभी मामले वापस ले लिए हैं।
वापस लिए गए मामलों में भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा का वह मामला भी शामिल है जिसमें उन्हें पुलिस बैरीकेडिंग पर जीप चढ़ाने का आरोपी बनाया गया था। दरअसल दिसंबर 2017 में हनुमान जयंती के अवसर पर मैसूर से भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने पुलिस के द्वारा रोके जाने के बावजूद बैरीकेडिंग पर जीप को चढ़ा दिया था। जिसके बाद पुलिस ने सिम्हा के खिलाफ सार्वजनिक आदेश की अवहेलना, जानलेवा ड्राइविंग, एक लोक सेवक को उसकी ड्यूटी करने से रोकने और चोट पहुंचाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया था।
मानवाधिकार संस्था पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से मंत्रियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के अनुरोधों के आधार पर सांप्रदायिक मामलों को वापस लेने के तर्क का विरोध किया है।