Karnataka Caste Census: कर्नाटक में सरकार चला रही कांग्रेस अब राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए मौजूदा आरक्षण की सीमा को बढ़ा सकती है। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, कर्नाटक में वर्तमान में ओबीसी के लिए 32% आरक्षण है लेकिन जाति जनगणना की जो रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी गई है, उसमें इसे बढ़ाकर 51% करने की सिफारिश की गई है।

यह सिफारिश सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के निष्कर्ष पर आधारित है। कर्नाटक में लगभग 70% आबादी ओबीसी वर्ग की है। रिपोर्ट में इस बात का प्रस्ताव दिया गया है कि कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को 51% से बढ़ाया जाना चाहिए। बताना होगा कि तमिलनाडु और झारखंड में ओबीसी वर्ग को क्रमशः 69 और 77% आरक्षण दिया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक की कुल 5.98 करोड़ की आबादी में से ओबीसी जातियों की संख्या 4.16 करोड़ है।

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सिद्धारमैया ने दिया था जनगणना का आदेश

2014 में मुख्यमंत्री के अपने पहले कार्यकाल के दौरान सिद्धारमैया ने कर्नाटक की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक जनगणना का आदेश दिया था। तत्कालीन पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष एच. कंथाराजू की अध्यक्षता वाली समिति ने सर्वे किया था। सर्वे की रिपोर्ट 2016 तक तैयार हो गई थी लेकिन बाद की सरकारें इस पर आगे नहीं बढ़ीं।

एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस और जेडी(एस) गठबंधन की सरकार के बाद बीएस येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने भी रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की। 2020 में बीजेपी के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने जयप्रकाश हेगड़े को जाति जनगणना आयोग का प्रमुख नियुक्त किया था लेकिन उस सरकार में रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। हेगड़े ने फरवरी 2024 में सिद्धारमैया सरकार को अंतिम रिपोर्ट सौंपी।

विपक्षी दलों बीजेपी और जेडी(एस) ने रिपोर्ट को लागू करने का विरोध किया है। लिंगायत और वोक्कालिगा जाति समूहों ने आरोप लगाया है कि इस रिपोर्ट में जनसंख्या प्रतिनिधित्व के मामले में उनके साथ अन्याय किया है।

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सिद्धारमैया सरकार 17 अप्रैल को आयोग की सिफारिशों पर फैसला लेगी। हालांकि सिद्धारमैया ने फरवरी में कहा था कि जाति जनगणना वैज्ञानिक तरीके से की गई है और उनकी सरकार इसे बिना किसी संदेह के लागू करेगी।

OBC के हक और हिस्सेदारी की मांग

बताना होगा कि कांग्रेस लगातार OBC समुदाय के हक और हिस्सेदारी की बात करने के साथ ही देश भर में जाति जनगणना करने की मांग भी लगातार उठा रही है। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान नेता विपक्ष राहुल गांधी और कई अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों ने मोदी सरकार पर जातिगत जनगणना करने का दबाव बनाया था।

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