26 जुलाई 1999 को भारत ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था। इस दिन भारत ने पाक के नापाक मंसूबों को तहस-नहस कर विजय हासिल की थी। इस युद्ध को कारगिल नाम दिया गया था। इसमें पाकिस्तान के साथ-साथ भारत के भी कई सैनिक मारे गए थे। कारगिल युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है। 1999 के बाद से हर साल यह दिन भारत में कारगिल विजय दिवस के नाम से मनाया जाता है। यूं तो इस युद्ध में शामिल सभी भारतीय जवान देश के हीरो हैं। लेकिन इन सब में एक जवान ऐसे भी थे जिन्होंने 15 गोलियां लगने के बाद भी दुश्मनों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के योगेंद्र सिंह यादव जिन्हें सीमा पर शौर्य और देश की रक्षा के के लिए परमवीर चक्र दिया गया। उन्होंने कई मौकों पर उस दिन का जिक्र किया है जब उन्होंने भारत की रक्षा के लिए 15 गोलियां खाकर भी दुश्मनों को धूल चटा दी थी। भारतीय सेना की 18 ग्रेनेड मे शामिल होने वाले योगेंद्र को अंदाजा भी नहीं था कि सेना में शामिल होते ही उन्हें जंग के मैदान में उतार दिया जाएगा।
योगेंद्र सिहं बताते है ‘मैं अपनी शादी के लिए मई 1999 में छुट्टी पर अपने घर आया हुआ था। शादी के दो दिन बाद मैंने एक सपना देखा था। सपने में हमारे राष्ट्रीय झंडे तिरंगा को दुश्मन उखाड़कर ले जा रहे थे और हम लोग उनके पीछे भाग रहे थे। मैं जब सुबह उठा तो मैंने परिवार के सदस्यों को इसके बारे में बताया तो उन्होंने मुझसे कहा कि तुम सीमा पर गोलियां दागते रहते हो इसलिए तुमने ऐसा सपना देखा।’
उन्होंने बताया कि ‘जब मैं दो महीने बाद (4 जुलाई 1999) के दिन छुट्टियों से वापस काम पर लौट आया तो मेरा सपना एकदम सच हुआ। पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय चौकियों पर कब्जा कर लिया था। मैं उस समय 18 ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट में शामिल था। जम्मू-कश्मीर के टाइगर हिल पर देश की रक्षा करने के लिए हमें तैनात कर दिया गया। हजारों फीट की चढ़ाई और ऊपर हथियारों के साथ बैठा दुश्मन सबसे बड़ी चुनौती थे। लेकिन फिर भी चढ़ाई करने का फैसला लिया गया कुल 21 जवानों की टुकड़ी जैसे ही आधे रास्ते तक पहुंची दुश्मन ने ऊपर से हमला बोल दिया। जिसमें हमारे कुछ जवान शहीद हो गए। दुश्मनों से लोहा लेते हुए मुझे 15 गोलियां लगीं। इनमें से कुछ मेरी बाह और शरीर के अन्य हिस्सों पर लगीं। लेकिन मैं जिंदा था। मेरे साथ मौजूद अन्य 6 सैनिक मारे गए थे। मेरे आस-पास पाकिस्तानी और भारतीय सैनिकों की लाश पड़ी थी। इसके बाद पाक सैनिकों ने हमारे सारे हथियार उठा लिए। लेकिन वह मेरी जेब में रखे ग्रेनेड को नहीं ढूंढ पाए।’
योगेंद्र ने आगे कहा ‘इसके बाद मैंने किसी तरह ताकत लगाकर उस ग्रेनेड को निकाला और उसकी पिन निकालकर पाक सैनिकों की तरफ फेंक दिया। ग्रेनेड एक पाक सैनिक को जा लगा और उसके मौके पर ही चिथड़े उड़ गए। इसके बाद मैंने पाक सैनिकों की रायफल ली और अंधाधुंध फायरिंग की। फायरिंग में पांच पाकिस्तानी सैनिक ढेर हुए। मेरा काफी खून बह चुका था और मुझे होश में आने में दिक्कत हो रही थी। मैं वहां पास में ही बह रहे नाले में कूद गया। करीब 400 मीटर तक पानी के बहाव में बहते हुए मुझे भारतीय सैनिकों ने देख लिया। इसके बाद उन्होंने मुझे वहां से निकाला और इलाज के लिए भेज दिया।’
बता दें कि ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव (वर्तमान सूबेदार मेजर) को सबसे कम उम्र (19 वर्ष) में सर्वोच्च सैन्य पदक परमवीर चक्र दिया गया है। आर्मी की आधिकारिक वेबसाइट पर कहा गया है कि ‘सीमा पर टाइगर हिल्स की भारी बर्फबारी वाली जगह पर योगेंद्र ने अपने शौर्य के जरिए देश की रक्षा की। पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें और उनके साथियों को देख लिया था। दुश्मनों ने उनपर फायरिंग की। उन्हें शरीर के कई हिस्सों पर गोलियां लगीं लेकिन इसके बावजूद वह दुश्मनों को मारकर आए।’

