Kargil Vijay Diwas 2019: साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध को 20 साल गुजर गए हैं, लेकिन उस युद्ध में अपनों को खोने वाले परिजनों की यादें अभी भी ताजा हैं। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में बारोती गांव के निवासी सिपाही दीपचंद भी कारगिल युद्ध में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे। अब युद्ध को 20 साल गुजरने पर द इंडियन एक्सप्रेस ने शहीद सिपाही दीपचंद की पत्नी से बातचीत की।

इस बातचीत के दौरान शहीद दीपचंद की पत्नी कांता देवी ने बताया कि ‘उनकी शादी फरवरी, 1999 में हुई थी और शादी के बाद वह 2 माह तक ही साथ रहे थे, उसके बाद वह अपनी ड्यूटी पर चले गए थे।’ कांता देवी ने बताया कि ‘वहां से वह अक्सर चिट्ठी लिखा करते थे और कभी-कभी फोन करते थे।’ कांता देवी के अनुसार, ‘दीपचंद फोन पर कहते थे कि ‘मैं ठीक हूं।’ इसके अलावा उनके बीच ज्यादा बात नहीं होती थी।’

कांता देवी ने बताया कि ‘उनकी नई-नई शादी हुई थी और वह भी शर्माने की वजह से ज्यादा बात नहीं करती थी।’ जब कांता देवी से पूछा गया कि उन्हें सिपाही दीपचंद के बारे में क्या याद है? तो इसके जवाब में कांता देवी ने बताया कि “हम सिर्फ दो महीने साथ रहे, इसलिए ज्यादा उनके बारे में नहीं जानती, लेकिन ये जानती हूं कि वह देश से बहुत प्यार करते थे।”

दीपचंद सेना की 13 जम्मू कश्मीर राइफल रेजीमेंट में तैनात थे और मुश्कोय घाटी में द्रास सेक्टर की चोटी 4875 पर कब्जा करने के दौरान शहीद हो गए थे। 8 जुलाई 1999 के दिन को याद करते हुए कांता देवी बताती हैं कि ‘वह घर के रुटीन कामों में लगी हुई थीं, तभी पड़ोसी के लैंडलाइन नंबर पर सेना के अधिकारियों का फोन पहुंचा।’ कांता देवी के अनुसार, ‘पड़ोसी फोन की सूचना देने उनके घर आए और उनकी सास-ससुर समेत अन्य परिजनों को घटना की जानकारी दी, लेकिन उन्हें किसी ने कुछ नहीं बताया।’

कांता देवी के अनुसार, उन्होंने भी जानने की कोशिश नहीं की। इसके बाद घर के लोग रोने लगे। कांता देवी याद करते हुए बताती हैं कि जब 8 जुलाई, 1999 की शाम दीपचंद का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो वह पार्थिव शरीर को देखकर बेहोश हो गई थी। जिस वक्त दीपचंद शहीद हुए, उस वक्त कांता देवी 2 माह की गर्भवती थीं। कुछ साल बाद कांता देवी की शादी उनके देवर के साथ कर दी गई।

कांता देवी की बेटी अब 18 साल की है और चंडीगढ़ के एक कॉलेज में पढ़ती है। कांता देवी के अनुसार, पहले उन्होंने बेटी से उसके पिता के बारे में नहीं बताया, लेकिन बाद में बेटी को अखबार के जरिए पता चल गया। कांता देवी बताती हैं कि बेटी ने उनसे कोई सवाल नहीं किया, लेकिन अब वह अपने पिता के बारे में जानकर गौरवान्वित है।