वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के अवमानना मामले में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल भी उनके बचाव में उतर आए हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अवमानना अधिकार को हथौड़ा बनाकर इस्तेमाल हो रहा है और इतिहास इसका फैसला करेगा। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है, अवमानना अधिकार को हथौड़ा बनाकर इस्तेमाल हो रहा है जब संविधान को बचाने वाले संस्थानों की बात आती है तो न्यायालय असहाय क्यों हो जाता है और कानून दिखाने लगता है। दोनों के लिए खुली अवमानना होनी चाहिए? बड़े मुद्दे दांव पर हैं। हमें नीचा दिखाने के लिए अदालत को इतिहास कसौटी पर परखेगा।
उनके इस ट्वीट पर यूजर्स उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। @rpadhee1963 ने लिखा है, जब कोर्ट का फैसला आप के हिसाब से होगा तब जजेस बहुत अच्छा है। अगर फैसला आप के अनुरूप नहीं होगा तो कॉन्स्टिट्यूशन खतरे में होता है। आप तो वहीं विद्वान वकील हैं जो राम मंदिर का फैसला इलेक्शन के बाद देने के लिए कहा था। @Byrahulchhibber ने लिखा है, अजीब दास्तां है ये महानता की खोज है ये। काग़ज़ के लोग अपने को बूथ समझ रहें हैं, बरफ के गोले शोले समझ रहें हैं। सोचती जनता को सोती समझ रहें है,पगड़ी संभालो भूषण सेठ/सिब्बल साब हवा तेज चलती हैं।कांच के घर कब तक टीकेगें जागा हिंदू पत्थर बटोर रहा है अपने जले मकान के। @moon_jaiHind ने लिखा है राम मंदिर बन रहा है बूढ़े चचा, सोचा याद दिला दूं आपको कि कुछ कसम खाई थी आपने राम मंदिर पर।
Prashant Bhushan
Contempt power being used as a sledgehammer
Why are Courts helpless when institutions that need to protect the constitution and the laws show “ open contempt ” for both ?
Larger issues are at stake
History will judge the Court for having let us down
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 22, 2020
क्या है मामला: बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट के लिये क्षमा याचना से इंकार करने संबंधी अपने बगावती बयान पर पुनर्विचार करने और बिना शर्त माफी मांगने के लिये बृहस्पतिवार को 24 अगस्त तक का समय दिया है। न्यायालय ने अवमानना के लिये दोषी ठहराये गये भूषण की सजा के मामले पर दूसरी पीठ द्वारा सुनवाई का उनका अनुरोध ठुकराया दिया है।
न्यायालय ने इस मामले में भूषण को दी जाने वाली सजा के सवाल पर सुनवाई पूरी करते हुये उनका यह अनुरोध भी अस्वीकार कर दिया कि इस फैसले के खिलाफ अभी दाखिल की जाने वाली पुनर्विचार याचिका पर निर्णय होने तक सुनवाई स्थगित कर दी जाये।