Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बार के सदस्यों के लिए ग्रुप चिकित्सा बीमा पॉलिसी के लिए कुछ बड़े उद्योगपतियों से 50 करोड़ रुपये जुटाए हैं लेकिन एसोसिएशन के भीतर एक वर्ग ने उनका विरोध किया है। इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह पिछले सप्ताह बार निकाय के नए अध्यक्ष बने हैं।
विकास सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एससीबीए के नए अध्यक्ष के रूप में मेरा पहला प्रयास कार्यकारी समिति की बैठक में इस नीति पर चर्चा करना होगा। मेरा व्यक्तिगत विचार है कि इस नीति पर निश्चित रूप से फिर से बातचीत करने या इसे समाप्त करने की आवश्यकता है, क्योंकि हम 2 लाख रुपये के कवर के लिए जो प्रीमियम दे रहे हैं, वह 5 लाख रुपये के कवर के लिए दिए जाने वाले प्रीमियम से बहुत अधिक है।
विकास सिंह ने किया था इसका विरोध
5 मई को एससीबीए की आम सभा की बैठक में विकास सिंह ने अपना विरोध जताया था। यह पूछे जाने पर कि क्या सिब्बल के प्रयास से हितों के टकराव का मुद्दा उठता है, तो इस पर विकास सिंह ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि ये सीएसआर फंड हैं या नहीं। विकास सिंह ने कहा कि यदि यह सीएसआर निधि नहीं है तो इसमें कोई विवाद नहीं है, क्योंकि यह धन एसोसिएशन को दिया जाता है, किसी व्यक्ति को नहीं।
वहीं इस मामले में कपिल सिब्बल ने कहा है कि यहां हितों का कोई टकराव नहीं है। सवाल ही कहा है? दान एसोसिएशन को दिया जाता है, किसी सदस्य को नहीं। इसके अलावा, व्यक्तिगत रूप से, मैं इनमें से कई कंपनियों के खिलाफ़ या उनके पक्ष में पेश हो चुका हूं और फिर से पेश हो सकता हू। मैं उन पर आरोप लगाता हू। हमारा पेशेवर करियर हमारी दोस्ती पर आधारित नहीं है।
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सिब्बल ने बताया किसने दिया पैसा
इस मामले में कपिल सिब्बल ने कहा कि मुकेश अंबानी (रिलायंस इंडस्ट्रीज) ने 10 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जबकि अनिल अंबानी (रिलायंस समूह), गौतम अडानी (अडानी समूह), एन चंद्रशेखरन ( टाटा संस), समीर मेहता (टोरेंट समूह), जीएम राव (जीएमआर समूह), कुमार मंगलम बिड़ला (आदित्य बिड़ला समूह), अनिल अग्रवाल (वेदांता) और लक्ष्मी मित्तल (आर्सेलर मित्तल) ने 5-5 करोड़ रुपये दिए।
सिब्बल ने कहा कि कॉरपोरेट्स को आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत कर छूट मिलेगी। निर्दिष्ट संस्थाओं को दिए गए दान को धारा 80जी के तहत कर योग्य आय से घटाया जा सकता है। एससीबीए के नए अध्यक्ष सिंह ने कहा कि उनका प्रयास यह सुनिश्चित करना होगा कि यह नीति केवल बार के जरूरतमंद सदस्यों या बुजुर्ग माता-पिता का समर्थन करने वाले सदस्यों के लिए उपलब्ध हो।
नए अध्यक्ष ने क्यों किया विरोध
विकास सिंह ने कहा कि इसे हमारे जैसे लोगों के लिए उपलब्ध नहीं कराया जाना चाहिए। पिछली कार्यकारी समिति द्वारा घोषित नीति, मेरे, सिब्बल आदि सहित सभी के लिए है। इस तरह के पैसे का उपयोग कभी भी इसके लिए नहीं किया जा सकता है… यह सब मेरी कार्यकारी समिति के साथ चर्चा करने के बाद ही किया जाएगा।
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कपिल सिब्बल के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले 95 प्रतिशत वकील अच्छी कमाई नहीं करते हैं। वे पूरे देश से दिल्ली में प्रैक्टिस करने आते हैं। उनमें से ज़्यादातर की कमाई अच्छी नहीं होती। उन्हें किराए, अपने परिवार पर पैसे खर्च करने पड़ते हैं और अगर वे बीमार पड़ जाते हैं, तो उन्हें मेडिकल बिल का भुगतान करना पड़ता है। सिब्बल ने कहा कि एससीबीए के लगभग 2,700-2,800 सदस्य हैं जिनके पास वोटिंग अधिकार हैं, और वे स्वास्थ्य कवर के लिए पात्र होंगे।
अपने पुराने क्लाइंट्स से सिब्बल ने जुटाए पैसे
21 मई को एससीबीए द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कपिल सिब्बल ने बताया कि उन्होंने पैसे कैसे जुटाए। सिब्बल ने कहा कि मैंने उन लोगों से पैसे इकट्ठा करना शुरू किया, जिनकी मैंने पिछले 52 सालों से सेवा की है। मैंने वेदांता के अनिल अग्रवाल को फोन किया। वे तुरंत सहमत हो गए और हमें 5 करोड़ रुपए का योगदान दिया। मैंने अपने एक प्रिय मित्र अनिल अंबानी को फोन किया और उनके पास हां कहने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।
कपिल सिब्बल ने कहा कि मैंने गौतम अडानी को फोन किया और कहा कि अब आपके लिए योगदान देने का समय आ गया है क्योंकि आप कमोबेश भारत के बादशाह हैं और आपके लिए 5 करोड़ रुपये बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि अगर आपको और चाहिए तो मैं और दूंगा, लेकिन ये रहे 5 करोड़ रुपये। इसलिए उन्होंने 5 करोड़ रुपये दिए। उन्होंने कहा, “श्री कुमार मंगलम बिड़ला, मेरे पुराने मित्र हैं। उन्होंने कई सालों तक बिड़ला साम्राज्य की सेवा की… कभी उनसे कुछ नहीं मांगा। इसलिए मैंने कहा, आपसे 5 करोड़ रुपये और चाहिए, और उन्होंने हां कह दिया।
अपोले ग्रुप से किया संपर्क
कपिल सिब्बल ने बताया कि राशि जुटाने के बाद क्या किया गया। उन्होंने कहा कि मैंने अपोलो समूह से संपर्क किया, जो मेरे क्लाइंट भी हैं। मैं परिवार के मुखिया को जानता हूं, अपोलो समूह का मुखिया मेरा पुराना दोस्त है। इसलिए मैंने कहा कि देखो, हम चाहते हैं कि तुम इसे संभालो। उन्होंने बाजार को देखा और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी नामक एक कंपनी को पकड़ा। और हमने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से बात करना शुरू किया कि हमारे युवा वकीलों को किस तरह के लाभ मिल सकते हैं। मैं आपको बताना चाहता हूं… इस देश में कोई भी बीमा पॉलिसी इतनी सारी सुविधाएं नहीं देती जितनी यह देती है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एससीबीए को 50 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि निस्संदेह, यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है जो कानूनी समुदाय के कल्याण के लिए गहरी चिंता को दर्शाती है।