Kanwar Yatra Nameplate Controversy: कांवड़ यात्रा के रूट पर लगने वाली दुकानों में नेम प्लेट लगाने के योगी सरकार के आदेश पर अब विवाद बढ़ता जा रहा है और इस ज्वलंत मुद्दे की चिंगारियां केंद्रीय स्तर बीजेपी के एनडीए के साथियों तक भी पहुंच गई है। विवादों के बीच ही यही फैसला उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने भी ले लिया। इसके चलते एनडीए के कई नेताओं ने यूपी सरकार के इस आदेश की आलोचना की और कहा है कि इसे वापस लिया जाना चाहिए। पहले जेडीयू फिर RLD के बाद अब केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान ने भी कहा है कि वे सीएम योगी के इस फैसले से सहमति नहीं रखते हैं।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि वह इस सलाह से सहमत नहीं हैं। बता दें कि नेम प्लेट को लेकर पहला आदेश स्थानीय स्तर पहले मुजफ्फरनगर पुलिस ने जारी किया गया था। वहीं जब इस पर विवाद बढ़ा तो आदेश को सलाह में बदला गया लेकिन फिर सीएम योगी आदित्यनाथ ने आक्रामक रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि दुकानदारों को नेमप्लेट लगानी ही होगी। इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने भी यूपी सरकार की तरह ही यह आदेश जारी कर दिया।
‘स्वीकर नहीं है ऐसे फैसले’
चिराग ने कहा कि गरीबों के लिए काम करना हर सरकार की जिम्मेदारी है, जिसमें समाज के सभी वर्ग जैसे दलित, पिछड़े, ऊंची जातियां और मुसलमान भी शामिल हैं। जब भी जाति या धर्म के नाम पर ऐसा विभाजन होता है, तो मैं इसका समर्थन या प्रोत्साहन बिल्कुल नहीं करता। चिराग ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मेरी उम्र का कोई भी शिक्षित युवा, चाहे वह किसी भी जाति या धर्म से आता हो, ऐसी चीजों से प्रभावित होता है।
RLD बोली – फैसला का समय गलत
वहीं यूपी और उत्तराखंड सरकार के इस फैसले को लेकर आरएलडी ने भी नाराजगी जताई है। पश्चिमी यूपी में दबदबा रखने वाली आरएलडी की तरफ से कहा गया कि वह केंद्र और राज्य सरकार, जिसका वह भी हिस्सा है, दोनों के समक्ष अपनी आपत्तियां उठाएगी। RLD के राष्ट्रीय सचिव अनुपम मिश्रा ने कहा कि सबसे पहले, हमारी पार्टी का रुख यह है कि अगर कोई ऐसा फैसला लिया जाता है जिसका असर लोगों के बड़े वर्ग पर पड़ता है, तो सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।
‘CM और केंद्र से करेंगे बात’
इसका समय गलत है। खाद्य सुरक्षा नियमों के अनुसार, हर भोजनालय को अपना नाम और अपने उत्पादों का विवरण प्रदर्शित करना होता है। अगर इसे (पुलिस के आदेश को) लागू करना है, तो इसे शाकाहारी और मांसाहारी में विभाजित किया जाना चाहिए, जिसमें लाल या हरे रंग के चिह्न हों, जैसे कि खाद्य पैकेट पर होते हैं… हमारे देश में विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं और सद्भाव बनाए रखना चाहिए। RLD नेता ने कहा कि यूपी सरकार में हमारी हिस्सेदारी है और यूपी सरकार में हमारे मंत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलेंगे औऱ केंद्र से भी इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।
BJP ने पिछले साल के फैसला का दिया हवाला
वहीं बीजेपी ने इस फैसले को सही बताते हुए कहा कि पिछले साल भी यही आदेश लागू था। पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने आरोप लगाया कि यह आदेश गलत है। समाजवादी पार्टी सांप्रदायिक विभाजन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर पुलिस का निर्देश कोई नई बात नहीं है, पिछले साल भी यही आदेश लागू थे। वहीं मेरठ जोन के अतिरिक्त डीजीपी ध्रुव कांत ठाकुर ने कहा कि खाने की दुकानों और सड़क किनारे ठेलों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश पिछले साल भी लागू किया गया था। शांति और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए इन आदेशों का पालन किया जाना चाहिए।
प्रियंका ने बताया संविधान विरोध फैसला
विवादों में घिरी पुलिस के इस सलाह को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि सलाह तो वापस होनी ही चाहिए, साथ ही इसके पीछे खड़े सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि कानून के तहत सभी समान हैं। प्रियंका ने कहा कि यूपी में खोखे, दुकानों और ठेलों पर नाम के बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझा विरासत के खिलाफ है।