Kaithal (Haryana) Vidhan Sabha Election/Chunav Result 2024: हरियाणा की कैथल विधानसभा सीट काफी बहुचर्चित सीट है और इसके विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। कांग्रेस प्रत्याशी आदित्य सुरजेवाला ने भाजपा के लीला राम को 8124 वोटों से हरा दिया है। 90 सीटों वाली विधानसभा में इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प रहा है। लोगों ने कैथल विधानसभा सीट पर जमकर वोटिंग की थी।

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कैथल की हॉट सीट पर इस बार भारतीय जनता पार्टी ने लीला राम को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस पार्टी ने रणदीप सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला को चुनावी मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी और जेजेपी ने जाट उम्मीदवारों को चुनावी दंगल में उतारा है। आम आदमी पार्टी से सतबीर गोयत और जेजेपी ने संदीप गढ़ी को मैदान में उतारा है। अनिल तंवर को INLD-BSP गठबंधन ने टिकट दिया है। वहीं, बलराज नौच जेजेपी से बागी होकर मैदान में उतरे हैं। जाति के हिसाब से बात करें तो यहां से 4 जाट और 2 गुर्जर प्रत्याशी मैदान में है।

पार्टीउम्मीदवारवोटहारे/जीते
बीजेपीलीला राम
कांग्रेसआदित्य सुरजेवाला
आपसतबीर गोयत

2019 के चुनाव परिणाम

2019 के विधानसभा चुनाव में भी काफी टफ फाइट देखने को मिली थी। भारतीय जनता पार्टी ने लीला राम को ही अपना प्रत्याशी घोषित किया था। उनके सामने कांग्रेस ने रणदीप सुरजेवाला को टिकट दिया था। हालांकि, बीजेपी के लीला राम ने रणदीप सुरजेवाला को 1246 वोटों के अंतर से शिकस्त दी थी और सीट पर अपना कब्जा जमा लिया। साल 2014 में भी रणदीप सुरजेवाला ने इनेलो उम्मीदवार कैलाश भगत को हराया था। जबकि भारतीय जनता पार्टी के राव सुरेंद्र तीसरे नंबर पर रहे थे। सुरजेवाला को उस चुनाव में 65 हजार 524 वोट मिल थे। जीत का अंतर 23 हजार से ज्यादा वोटों का था।

कैथल विधानसभा सीट पर सियासी गणित

कांग्रेस पार्टी ने कई नेता इस सीट पर तीन बार जीत चुके हैं। इसमें राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला और उनके पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला शामिल है। रणदीप ने 2009 और 2014 में दो बार जीत दर्ज की, जबकि उनके पिता ने 2005 में जीत दर्ज की। इसके अलावा कांग्रेस नेता ओम प्रभा ने 1967 और 1968 में दो बार जीत दर्ज की। 1972 में निर्दलीय उम्मीदवार चरण दास ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार रघुनाथ और 1982 में निर्दलीय उम्मीदवार रोशन लाल ने जीत दर्ज की। ​​सुरेन्द्र कुमार ने 1987 में लोकदल के टिकट पर और फिर 1991 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की।