Justice Yashwant Varma Cash at Home Row: सरकारी आवास से जली हुई नकदी मिलने के मामले में जांच का सामना कर रहे दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलों में इजाफा हो सकता है। बताना होगा कि इस मामले में तीन जजों के एक पैनल का गठन किया गया था। पैनल ने आरोपों की जांच करते हुए जस्टिस वर्मा को गलत बर्ताव के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
पैनल ने अपनी 64 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि जब सरकार किसी लोक सेवक को कोई आवास आवंटित करती है तो यह उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह उस परिसर को ऐसी चीजों से दूर रखे जिससे आम आदमी की नजर में शक पैदा होता हो।
रिपोर्ट कहती है, “आग को बुझाने की प्रक्रिया के दौरान जो जले हुए नोट मिले, वह संदिग्ध चीज है और बड़ी बात यह है कि वह कोई छोटी राशि के नोट नहीं हैं और इन्हें जस्टिस वर्मा या उनके परिवार के किसी सदस्य की मंजूरी के बिना स्टोर रूम में नहीं रखा जा सकता था।”
‘CJI को जस्टिस वर्मा की रिपोर्ट सरकार को भेजने की क्या जरूरत थी?’
कौन हैं पैनल में शामिल?
इस पैनल में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल हैं।
रिपोर्ट कहती है, “सिटिंग जज के स्टोर रूम में नोट रखना संभव नहीं है क्योंकि इसकी मॉनिटरिंग हर वक्त गेट पर तैनात गार्ड और PSO के द्वारा की जाती है। इसके अलावा उस घर में काफी पुराने और भरोसेमंद घरेलू नौकर भी हैं और यहां पर 6 से ज्यादा स्टाफ क्वार्टर हैं।”
रिपोर्ट यह भी कहती है कि इसमें दमकल कर्मियों या पुलिस कर्मचारियों की निष्क्रियता ढूंढना पैनल का काम नहीं है और यह ठीक नहीं होगा कि वह इन कर्मचारियों के काम पर किसी तरह की टिप्पणी करे।
जब जजों पर चलाया गया महाभियोग, वी रामास्वामी से सौमित्र सेन तक
स्टोर रूम से मिले थे जले हुए नोट
याद दिलाना होगा कि जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास में 14 मार्च की रात को आग लगने की घटना हुई थी। उनके घर के स्टोर रूम से जले नोटों से भरे बोरे मिले थे। इसके बाद उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया गया था।
तत्कालीन CJI ने बनाई थी जांच समिति
22 मार्च को इस मामले में तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने जांच समिति का गठन किया था। कमेटी ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। कमेटी ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों को सही पाया और उन्हें दोषी ठहराया था। इसके बाद तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी।
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस वर्मा और उनकी बेटी और 55 गवाहों से की गई पूछताछ में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया लेकिन गवाहों के क्रॉस एग्जामिनेशन या कानूनी प्रतिनिधित्व की अनुमति नहीं दी गई।
मानसून सत्र में महाभियोग लाएगी सरकार
द इंडियन एक्सप्रेस ने हाल ही में रिपोर्ट दी थी कि केंद्र सरकार ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद के आगामी मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस मामले में सरकार ने विपक्षी दलों से संपर्क किया है।
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