मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कारनन ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी ट्रांसफर मामले में खुद ही रोक लगा दी। साथ ही मुख्‍य न्‍यायाधीश से इस मामले में जवाब देने को कह दिया। ट्रांसफर आदेश पर प्रसंज्ञान लेते हुए जस्टिस कारनन ने कहा,’ वह 29 अप्रैल तक अपने अधीनस्‍थों के जरिए लिखित जवाब दाखिल करें।’ साथ ही आग्रह किया कि वे उनके न्‍याय क्षेत्र में दखल न दें। उन्‍होंने कहा कि लिखित जवाब न आने तक ट्रांसफर पर स्‍टे जारी रहेगा। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा है कि वे जस्टिस कारनन को कोई न्‍यायिक काम न दें।

वहीं इस घटना के बारे में मीडिया से बात करते हुए जस्टिस कारनन ने आरोप लगाया कि, दलित होने के चलते उनके साथ ऐसा किया जा रहा है। उन्‍होंने कहा,’मुझे निशाना बनाया गया क्‍योंकि मैं दलित हूुं। मैं शर्मिंदा हूं कि मेरा जन्‍म भारत में हुआ है। मैं ऐसे देश में जाना चाहता हूं जहां जातिप्रथा न हो।’

इससे पहले उन्‍होंने कोर्ट के अंदर ही मीडियाकर्मियों से बात करनी चाही। लेकिन हाईकोर्ट प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। गौरतलब है कि जस्टिस कारनन पहले भी विवादों में रहे हैं। उन्‍होंने हाल के महीनों में मद्रास हाईकोर्ट के सबसे वरिष्‍ठ जज जस्टिस संजय कौल के फैसलों को चुनौती दी थी। साथ ही उन पर शोषण करने का आरोप भी लगाया था।