सुप्रीम कोर्ट में फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीद मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिका पर आदेश सुरक्षित हो गया है। याचिका पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल मौजूद थे। कोर्ट में ही जस्टिस जोसेफ ने वेणुगोपाल से पूछा कि पुराने समझौते के आरएफपी से पहले प्रधानमंत्री ने नए समझौते के बारे में क्या घोषणा की थी। जस्टिस जोसेफ के इस सवाल का जवाब अटार्नी जनरल नहीं दे पाए। वेणुगोपाल के जबाव न दे पाने की स्थिति देख खुद चीफ जस्टिस ने उनकी मदद की। जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘आपका खुद का नोट कहता है कि वापसी की प्रक्रिया मार्च 2015 में शुरू हुई थी और जून में समाप्त हो गई।’ सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले पत्रकार उत्कर्ष आनन्द ने न्यायालय के अंदर हुअ इस प्रकरण की जानकारी दी।
#Rafale: Justice KM Joseph asks AG how did the #PM announce about the new deal even before the RFP of the old agreement was to be withdrawn.
As AG struggles to answer, #CJI comes to his help. "Your own note says process of withdrawal had begun in Mar 2015 & was concluded in June" https://t.co/QWUZt7D4Z3— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) November 14, 2018
बता दें कि, अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बुधवार को लंच से पहले केन्द्र की ओर से जब बहस शुरू कीं तो पीठ ने कहा, ‘‘हम वायुसेना की जरूरतों पर गौर कर रहे हैं और राफेल विमानों पर वायुसेना अधिकारी से बात करना चाहते हैं। हम इस मुद्दे पर वायुसेना के अधिकारी से सुनना चाहते हैं, रक्षा मंत्रालय के अधिकारी से नहीं।
इसी मामले में लंच के बाद वायुसेना के उपप्रमुख एअर मार्शल वी आर चौधरी और दो अन्य अधिकारी न्यायालय की मदद के लिये पीठ के समक्ष पेश हुये। अटार्नी जनरल ने बहस के दौरान राफेल विमानों की कीमतों से संबंधित गोपनीयता के प्रावधान का बचाव किया और कहा, ‘‘यदि कीमतों के बारे में सारी जानकारी सार्वजनिक कर दी गयी तो हमारे शत्रु इसका लाभ ले सकते हैं।
मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने और राफेल डील पर बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। बहस के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को फटकार भी सुननी पड़ी।