कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के जमीन सौदों की जांच के लिए बने ढींगरा आयोग ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट हरियाणा सरकार को सौंप दी है। अनियमितताओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर अनियमितताएं नहीं होती तो वह 182 पेज की रिपोर्ट नहीं सौंपते। मीडिया को संबोधित करते हुए जस्टिस ढींगरा ने कहा कि रिपोर्ट दो हिस्सों में है। एक भाग में जांच-परिणाम और दूसरे हिस्से में सबूत है। रिपोर्ट में बहुत कुछ है। उन्होंने रिपोर्ट के कंटेट के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस ढींगरा ने कहा कि उन्होंने जांच रिपोर्ट हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को सौंप दी है, अब आगे कार्रवाई करना सरकार का काम है। उन्होंने कहा कि मैंने अनियमितताएं किस तरह की गई और इसके पीछे कौन लोग थे, इसको सामने लाने की कोशिश की है। अगर जमीन आवंटन में अनियमितताएं नहीं पाई गईं होती तो मैं 182 पेज की रिपोर्ट नहीं सौंपता। उन्होंने कहा, मैंने रिपोर्ट में हर उस आदमी का नाम दर्ज किया है जो अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार हैं। चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट। मैं चाहता तो अशोक खेमका को बुला लेता, मैंने ऐसा नहीं किया, मुझे नहीं लगा कि उन्हें बुलाना जरुरी था।
ढींगरा आयोग की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि रिपोर्ट सौंपे जाने से पहले, उसके कुछ हिस्सों का मीडिया में लीक होने यह बताता है कि इसका एकमात्र उद्देशय बदनाम करना और षड्यंत्र रचना है। हरियाणा के पूर्व सीएम हुड्डा ने कहा कि मैंने रिपोर्ट नहीं देखी लेकिन रिपोर्ट का लीक होना यह साबित करता है कि यह एक छलावा है। उन्होंने कहा कि किसी को फेवर नहीं किया गया है, हमने पूरी नीतियों को फॉलो किया है।
वाड्रा पर क्या हैं आरोप?
वाड्रा पर आरोप है कि उनकी कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने 7.5 करोड़ में जमीन खरीद कर लैंड यूज बदलने के बाद 55 करोड़ में बेची थी। ऐसे ही आरोप वाड्रा के अलावा और भी कई कंपनियों पर लगे हैं। वाड्रा पर अपने लाइसेंस को कानून का उल्लंघन करके डीएलएफ को ट्रांसफर करने का आरोप है, जिससे सरकार को राजस्व को भारी नुकसान हुआ।
क्यों नहीं गया था जांच आयोग?
हरियाणा सरकार ने वाड्रा की कंपनी समेत कुछ संस्थाओं को गुड़गांव के सेक्टर 83 में व्यावसायिक कॉलोनियां विकसित करने के लिए लाइसेंस देने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एन धींगरा के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। आयोग को छह महीने के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपनी थी।
If there was no irregularity, then I wouldn't have submitted a 182 page report: Justice Dhingra on report on Vadra land deal case
— ANI (@ANI) August 31, 2016