मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद वेंकटेश खासी चर्चा में हैं। वो सुर्खियों में इस वजह से हैं क्योंकि आय से अधिक संपत्ति के मामले में लीक से अलग हटकर उन्होंने कई मंत्रियों पर फिर से शिकंजा कस दिया था। सभी को लगता था कि अब वो ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जो राजनेताओं की सेहत को खराब करने वाला हो। लेकिन जस्टिस आनंद ने फिर से मास्टर स्ट्रोक लगा दिया है। अबकि बार उनके निशाने पर तमिलनाडु के पूर्व सीएम हैं।
दरअसल, जस्टिस आनंद वेंकटेश ने दस साल से ज्यादा पुराने एक ऐसे फैसले की समीक्षा का फरमान सुनाया है जो तमिलनाडु के पूर्व सीएम पनीरसेल्वम से जुड़ा है। उन्होंने डायरेक्टरेट ऑफ विजिलेंस एंड एंटी करप्शन (DVAC) को भी निशाने पर लिया। उनका कहना था कि सरकार बदलते ही करप्ट नेताओं पर अंकुश लगाने के मकसद से खड़ा किया गया एंटी करप्शन ब्यूरो भी बदल गया। उसने पनीरसेल्वम की हर तरह से मदद की।
2012 के फैसले की फिर से होगी समीक्षा
जस्टिस आनंद ने बृहस्पतिवार को पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक के अपदस्थ नेता ओ पनीरसेल्वम और उनके रिश्तेदारों को दिसंबर 2012 में बरी किए जाने के बाद शुरू किए गए आपराधिक पुनरीक्षण मामले पर नोटिस जारी करने का आदेश दिया। एक निचली अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सभी को राहत दी थी। जस्टिस ने पनीरसेल्वम, उनकी पत्नी और बेटे, उनके दो भाइयों और उनकी पत्नियों को 27 सितंबर को सुनवाई के लिए अदालत में उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया। उन्होंने राज्य सरकार को भी नोटिस देने का आदेश दिया। उसे 27 सितंबर तक जवाब देना है। अदालत ने रजिस्ट्री को इस आदेश की एक प्रति जानकारी के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष रखने का भी निर्देश दिया है।
चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट के फैसले पर को बताया क्रूर मजाक
खास बात है कि जस्टिस वेंकटेश ने पहले ही तरह से इस मामले में भी स्वतः संज्ञान लिया। उनका कहना था कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में पनीरसेल्वम और उनसे जुड़े लोगों को बरी करने वाला चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट का फैसला कानून के नाम पर भद्दा मजाक है। Sivagangai की कोर्ट ने 3 दिसंबर 2012 को दिए फैसले में पूर्व मुख्यमंत्री समेत कई लोगों को बरी करने का आदेश दिया था। जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में कहा कि DVAC का रवैया खासा अखरने वाला है। सरकार बदलते ही DVAC ने एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कर दी। इससे पहले वाली चार्जशीट बेमतलब की हो गई। चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट ने उसे आधार बनाकर पनीरसेल्वम और उनसे जुड़े लोगों को बरी करने का आदेश दे दिया। ये क्रूर मजाक था।
DAVC पर बरसे जस्टिस, बोले- सरकार बदलते ही ये भी बदल जाता है
जस्टिस का कहना था कि जब भी तमिलनाडु में सरकार बदलती है DAVC का रवैया पूरी तरह से बदल जाता है। उसके निशाने पर विपक्ष के नेता आ जाते हैं। लेकिन कोई भी केस पांच साल से पहले अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाता। सरकार फिर बदलती है और उसके साथ ही DAVC भी। वो यही पर नहीं रुके। उनका कहना था कि स्पेशल कोर्ट भी DAVC की लाइन पर चलती है। यही वजह रही कि स्पेशल कोर्ट ने आंख मूंदकर DAVC की रिपोर्ट पर यकीन कर लिया। उनका कहना था कि पता नहीं क्यों? जस्टिस ने ये भी कहा कि स्पेशल कोर्ट जांच तो करा ही सकती थी। ध्यान रहे कि जस्टिस आनंद इससे पहले तमिलनाडु के पूर्व मंत्रियों के पोनमुडी, केकेएसएसआर रामचंद्रन और थेनारासु के केस खुलवा चुके हैं।