बृहस्पति जब अपनी कक्षा में सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाता है। उस वक्त एक बिंदु ऐसा होता है जब वह पृथ्वी से दिखाई देने वाले सूर्य के विपरीत दिशा में पहुंचता है। सोमवार को उस स्थिति में पहुंचने के अलावा सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह 59 साल में पृथ्वी के सबसे नजदीक भी होगा। पृथ्वी से सिर्फ 59,06,29,248 किलोमीटर दूर, 107 सालों में यह इतना करीब होगा। अगली बार जब ग्रह आएगा तो यह 2129 होगा, जिससे सोमवार (26 सितंबर) की ग्रह निकटता एक अपरिहार्य घटना बन जाएगी।

ये ग्रह जो सूर्य के चारों ओर एक चक्कर पूरा करने में 11 साल से अधिक समय लेता है। अपनी कक्षा में सूर्य के बिल्कुल विपरीत होगा और इसे पृथ्वी से देखे जाने वाले आकाश में सबसे चमकीले पिंडों में से एक बनाती है। बृहस्पति आकाश में -2.9 परिमाण के साथ चमकीला दिखाई देगा। जिससे यह अधिक चमकीला और बड़ा दिखाई देगा। 53 चंद्रमाओं वाला यह ग्रह रात भर आसमान में रहेगा। पृथ्वी के सबसे नजदीक बृहस्पति आज (26 सितंबर) की शाम 5:29 बजे के बाद आसमान में दिखाई देगा और 27 सितंबर को सुबह 5:31 बजे तक दिखाई देगा।

1963 के बाद पृथ्वी के करीब आ रहा है बृहस्पति

बृहस्पति साल 1963 के बाद पृथ्वी के करीब आ रहा है। पृथ्वी और बृहस्पति की सूर्य के चारों ओर अलग-अलग कक्षाओं के कारण। वे हर बार एक ही दूरी पर एक दूसरे से नहीं गुजरते हैं। नासा के अनुसार, जब यह सोमवार (26 सितंबर) को सबसे करीब होगा, तो बृहस्पति पृथ्वी से लगभग 367 मिलियन मील की दूरी पर होगा। सबसे दूर ये 600 मिलियन मील दूर है। आईओ, यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो चार चंद्रमा हैं जिन्हें बृहस्पति के गैलीलियन उपग्रह कहा जाता है। यह शब्द गैलीलियो गैलीली से आया है, जिन्होंने उन्हें 400 से अधिक साल पहले खोजा था।

नासा ने जारी की बृहस्पति और उसके चंद्रमाओं की तस्वीरें

गैलीलियन उपग्रह बृहस्पति के 53 नामित चंद्रमाओं में से हैं, हालांकि वैज्ञानिकों ने कुल 79 खोजे हैं। वहीं, एक महीने पहले नासा ने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप द्वारा ली गई बृहस्पति और उसके चंद्रमाओं की नई तस्वीरें जारी की। इसके अलावा नासा का जूनो अंतरिक्ष यान छह साल पहले बृहस्पति की परिक्रमा शुरू करने के बाद से तस्वीरें मुहैया कर रहा है।