स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पूरे देश में ‘हर घर तिरंगा अभियान’ चलाया जा रहा है। साल 1947 में अंग्रेजों ने भारत को दो देशों और कई रियासतों में बांट दिया था। लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के कुशल नेतृत्व में अंग्रेजों द्वारा आजाद की गई रियासतों को भारत में शामिल करवाया गया लेकिन क्या आपको पता है कई रियासतें पाकिस्तान में भी शामिल हुईं। अपने इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कौन-कौन सी रियासतों ने पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया और वो कौन सा मुस्लिम शासक था जिसने सबसे पहले पाकिस्तान में विलय का ऐलान किया।
द इंडियन एक्सप्रेस के एक रिसर्च आर्टिकल के अनुसार, पाकिस्तान में सबसे पहले विलय का ऐलान करने वाली रियासत काठियावाड़ क्षेत्र में मौजूद जूनागढ़ था। यह पाकिस्तान से सैकड़ों मील दूर था। जूनागढ़ के शासक नवाब मोहम्मद महाबत खानजी III मुस्लिम थे लेकिन उनकी प्रजा हिंदू थी। नवाब मोहम्मद महाबत खानजी III को उनके दीवान सर शाह नवाज भुट्टो द्वारा पाकिस्तान में विलय के लिए राजी किया गया।
शाह नवाज भुट्टो मुस्लिम लीग का सदस्य था। नवाब मोहम्मद महाबत खानजी III द्वारा पाकिस्तान के साथ जाने के ऐलान पर भारत कोई प्रतिक्रिया नहीं थी। हालांकि इसके बाद सितंबर 1947 में महात्मा गांधी के भतीजे सामलदास गांधी की लीडरशिप में एक आम विद्रोह के अलावा जूनागढ़ की नाकाबंदी भी की गई थी। इससे जूनागढ़ की अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
जूनागढ़ के हालात इतने खराब हो गए कि नवाब मोहम्मद महाबत खानजी III कराची भाग गए। उन्होंने अपना राज्य अपने दीवान को सौंप दिया।नवंबर 1947 में दीवान सर शाह नवाज भुट्टो ने भारत के आगे घुटने टेक दिए और सरेंडर कर दिया। इसके बाद अगले साल की शुरुआत यानी फरवरी 1948 में जूनागढ़ में जनमत संग्रह करवाया गया, जिसमें 91% लोगों ने भारत को चुना।
पसंदीदा कुत्तों को लेकर नवाब भागा पाकिस्तान
द इंडियन एक्सप्रेस के एक अन्य आर्टिकल में वीपी मेनन (सरदार पटेल के नेतृत्व वाली मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट्स में सेक्रेटरी) की किताब ‘The Story of Integration of the Indian States’ के हवाले से लिखा गया है कि जुनागढ़ का नवाब हवाई मार्ग से कराची भाग गया। वह अपने साथ अपने परिवार के अलावा अपने पसंदीदा कुत्तों और कीमती सामान को ले गया। मेनन के अनुसार, जुनागढ़ का नवाब अपने साथ अपने राज्य का पूरा खजाना लेकर भाग गया।
इन रियासतों ने भी किया पाकिस्तान में विलय का ऐलान
भारत पाकिस्तान की सीमा पर स्थित पंजाब में बहावलपुर और सिंध में खैरपुर ने पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला किया। इन दोनों रियासतों के शासक मुस्लिम थे और वहां की बहुसंख्यक जनसंख्या मुसलमान थी। भारत में इन दोनों रियासतों में खास इच्छुक नहीं था। ये दोनों रियासतें बेहद आराम से अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान में शामिल हो गईं। इसी तरह चित्राल, दीर, स्वात और अंब की चार छोटी रियासतें तो नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस के साथ लगती थीं, उन्होंने भी पाकिस्तान के साथ जाने का फैसला किया।