Jagdeep Dhankar on Emergency: राज्यसभा के सभापति और देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इमरजेंसी को लेकर कांग्रेस सरकार पर फिर से बड़ा हमला बोला है। उन्होंने शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि अगर न्यायपालिका इंदिरा गांधी की तानाशाही के आगे नहीं झुकी होती, तो इमरजेंसी की स्थिति नहीं बनती। हमारा देश बहुत पहले ही इससे भी ज्यादा विकास कर चुका होता। हमें दशकों तक इंतजार नहीं करना पड़ता।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान एक शख्श द्वारा स्वतंत्रता को बंधक बना लिया गया था। बिना किसी की गलती के गिरफ्तार किए गए लोगों को न्यायिक मदद लेने से रोक दिया गया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 हाई कोर्ट के फैसलों को पलट दिया था, जिन्होंने पीड़ितों के पक्ष में फैसला सुनाया था।

न्यायपालिका कानून नहीं बना सकती- जगदीप धनखड़

जगदीप धनखड़ ने कहा कि विधायिका न्यायिक फैसले नहीं लिख सकती है और न्यायपालिका कानून नहीं बना सकती है। हमारे संविधान में सभी संस्थाओं की भूमिका साफ तौर पर दी हुई है। धनखड़ ने आगे कहा कि मुझे इस संस्था का हिस्सा होने पर गर्व है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब इमरजेंसी लागू की गई थी तो उस समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक आपातकाल रहेगा, तब तक कोई भी व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए किसी भी कोर्ट का रुख नहीं कर सकता है। जब तक सरकार चाहे, आपातकाल चल सकता है।

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पूर्व पीएम की तानाशाही के आगे झुकी न्यायपालिका

सभापति ने कहा कि युवा लोगों को इमरजेंसी के बारे में जानकारी नहीं है। हम सभी मिलकर यह सुनिश्चित करें कि हर भारतीय इमरजेंसी के काले दौर और उसके नतीजों के बारे में पूरी तरह जान सकें। उन्होंने कहा कि आपातकाल सबसे क्रूर, सबसे काला दौर था। उन्होंने कहा कि उस समय न्यायपालिका की एक बहुत ही उच्च संस्था, तत्कालीन प्रधानमंत्री के तानाशाही शासन के आगे झुक गई। लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया। सभी को काफी अपमान भी सहना पड़ा। इस देश के लोगों के लिए उस काले दौर को भूलना बिल्कुल भी सही नहीं होगा।

जगदीप धनखड़ ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की न्यायिक प्रणाली उसकी लोकतांत्रिक जीवंतता को परिभाषित करती है। किसी भी शासन व्यवस्था के लिए स्वतंत्र, सुदृढ़ न्यायिक प्रणाली बहुत ही जरुरी है और यही उसकी जीवन रेखा है। हाई कोर्ट और उसके चीफ जस्टिस की संस्था न्याय देने के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह है। इतना ही नहीं उपराष्ट्रपति ने बांग्लादेश को लेकर भी कहा कि जो लोग यह कहानी बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं कि हमारे पड़ोस में जो हुआ, वह हमारे भारत में भी होना तय, यह बेहद ही चिंताजनक है।