भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच देश में बेरोजगारी का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ा है। सबसे ज्यादा नुकसान दिहाड़ी मजदूरों को हुआ है, जो लॉकडाउन और आंशिक बंदी के चलते काम के लिए सफर तक नहीं कर पा रहे हैं। रोजगार की कमी को लेकर अब सरकार पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। एक टीवी शो पर भी पत्रकार ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति एक हफ्ते में एक घंटे भी काम करता है, तो सरकार के आंकड़े में उसके पास रोजगार है। यानी देश में असल बेरोजगारों की संख्या काफी ज्यादा है।
बता दें कि हाल ही में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने खुलासा किया था कि पाबंदियों के बीच 75 लाख से अधिक लोगों को रोजगार गंवाने पड़े हैं। हालांकि, सरकार ने एजेंसी के आंकड़ों को निजी संस्था के आंकड़े बताकर खारिज कर दिया और कहा कि हालत इतनी बुरी नहीं है। इस पर न्यूज 24 के पत्रकार संदीप चौधरी ने पूछा कि जब सरकार 8 फीसदी बेरोजगारी दर पर ऐसी बात कहती थी, तो अब तो यह दर 14.5 फीसदी है। अब रोजगार की स्थिति कितनी बुरी है, सरकार यह कभी नहीं बताती।
पत्रकार ने कहा, “देश में बेरोजगारी दर की बात होती है। रोजगार दर की बात होती है। आपको रोजगार मिला है, इसका पैमाना यह है कि अगर आप एक हफ्ते में एक घंटे काम कर रहे हैं, तो सरकार मानती है कि आपके पास रोजगार है। तब यह स्थिति है।” चौधरी ने बताया कि शेयर बाजार तो रोज रिकॉर्ड बना रहा है, लेकिन काम-धंधे चल पा रहे हैं क्या?
चौधरी ने गरीबी के आंकड़े बताते हुए कहा, “इस देश में गरीब किसे माना जाता है- जिसकी प्रतिदिन आय 375 रुपए से कम है। यानी 11 हजार रुपए से कम। इस लिहाज से देश के सभी किसान गरीबी रेखा से नीचे हैं, क्योंकि 2013 के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, किसानों की आय 6426 रुपए है। 2017 में एनएसएसओ का आंकड़ा आया, जिसमें किसानों की आय 9391 रुपए बताई गई। यानी अधिकांश किसान गरीब हैं।”
पत्रकार ने बताया कि 2020 से अब तक 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं। इनमें भी युवाओं और महिलाओं पर सबसे बुरा असर पड़ा है। मनरेगा में मांग बढ़ने के साथ संक्रमण बढ़ा है। गांव में मनरेगा में काम क्या बढ़ेगा, इस पर विचार होना चाहिए।
सरकार के रवैये से ट्विटर पर गुस्साए लोग: इन आंकड़ों के रखे जाने के बाद ट्विटर पर यूजर्स ने जमकर सरकार को कोसा। आशुतोष गर्ग नाम के एक यूजर ने कहा, “भारत में गरीबो के साथ यही मजाक होता है।” वहीं यूजर @RishabhP14 ने कहा, “कोरोना के मौत के आंकड़े कम दिखाना और रोजगार फर्जी तरीके से ज्यादा दिखाना। इतने घटिया हैं ये।”
दूसरी तरफ धर्मेंद्र पाल ने सभी राजनीतिक दलों को घेरते हुए कहा, “70 साल से बेरोजगारी पर यही नोटंकी चल रही है पहले गाँधी और कांग्रेस ने बेरोजगार रखा और नरेंद्र मोदी बीजेपी के लोग इस देश मे नेता अमीर हुए है बस।” वहीं ट्विटर हैंडल @ChiragParmar214 से ट्वीट किया गया, “इनको कौन समझाए, समस्या को मानने को तैयार ही नहीं हैं।