केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को देश में नई शिक्षा नीति लागू करने का एलान किया। केंद्रीय कैबनेट ने बुधवार को देश की नई एजुकेशन पॉलिसी (NEP-2020) को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD मिनिस्ट्री) के नाम को भी बदलकर शिक्षा मंत्रालय (एजुकेशन मिनिस्ट्री) कर दिया गया है।

सोशल मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने सरकार के इस कदम की सराहना की है। राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट करते हुए लिखा है, नई शिक्षा नीति में सबसे अच्छी बात यह है कि अब इस सेक्टर को जीडीपी का 6 प्रतिशत मिलेगा। वर्तमान में यह 1.7 प्रतिशत है।( अब गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है)। कुल मिलाकर, नई नीति का स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि इस सेक्टर में पहले से ही काफी सुधार की जरूरत है।

उनके इस ट्वीट पर कई यूजर्स ने निशाना साधना शुरू कर दिया। @gulatimanish21 ने लिखा है ‘जो सरकार जीएसटी बकाया नहीं दे सकती, शिक्षा पर जीडीपी का 6% कहां से खर्चेगी? खैर, ये हम लोगों के साथ एक और मजाक है। @GoCoron26767439 ने लिखा है, क्या मोदी ने कभी अपने किए वादे पूरे किए हैं? 100 स्मार्ट सिटी? 100 लाख करोड़ का निवेश? (इसके कोई आसार अभी तक नहीं दिखे हैं), कोरोना से लड़ने के लिए 20 लाख करोड़ के पैकेज का एलान किया गया कहा गया कि यह बजट का 10 प्रतिशत है लेकिन असल में यह एक प्रतिशत ही था।

@The_veenaD ने लिखा है, जीरो जीडीपी का 6 प्रतिशत कितना होता है? राजदीप? मोदी सरकार की तरफ से एक और जुमला? @Enraged_Indian ने लिखा है, जीडीपी का 6% मतलब नौकरशाहों, राजनेताओं, पुस्तक प्रकाशकों, ठेकेदारों, दलालों आदि लोगों की आय और बढ़ जाएगी। क्वालिटी ऐसी ही बनी रहेगी क्योंकि क्वालिटी में सुधार होगा तो आज की राजनीति बदल जाएगी। इसलिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हो सकता।