Jagdambika Pal Waqf Amendment Bill: वक्फ संशोधन विधेयक का मुद्दा संसद से लेकर सड़क तक काफी गर्म रहा है। इस विधेयक को केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में पेश किया गया था लेकिन तब विपक्षी दलों के द्वारा जोरदार विरोध किए जाने के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था।

इस मामले में बनाई गई समिति बजट सत्र में अपनी 500 पन्नों की रिपोर्ट को प्रस्तुत करेगी। समिति में कुल 31 सदस्य हैं इसमें से 13 सदस्य विपक्षी दलों के हैं। समिति अब तक 34 बैठकें कर चुकी है और इसमें देश भर के 20 से अधिक वक्फ बोर्ड से जुड़े लोग शामिल हुए थे।

विपक्षी दलों के साथ ही देश भर में कई मुस्लिम संगठनों ने भी इस विधेयक का खुलकर विरोध किया था। मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है। बजट सत्र से पहले समिति के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश से बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा।

उत्तराखंड का पहला मदरसा, जहां एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के साथ पढ़ाई जाएगी संस्कृत

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित कई संगठनों के लोगों से मिले

क्या समिति बजट सत्र में रिपोर्ट पेश करेगी? इस सवाल के जवाब में जगदंबिका पाल ने कहा कि जरूर। हमने दिल्ली में 34 बैठकें कीं। इसके अलावा मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, कोलकाता, पटना और लखनऊ गए। सभी हितधारकों, राज्य सरकार के अधिकारियों, वक्फ बोर्डों, अल्पसंख्यक आयोगों, हाई कोर्ट के वकीलों, इस्लामी विद्वानों, पूर्व न्यायाधीशों, कुलपतियों, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सदस्यों और विभिन्न संगठनों से मुलाकात की।

जगदंबिका पाल ने कहा कि इस तरह का व्यापक अभ्यास पहले किसी अन्य विधेयक के लिए नहीं हुआ। इन राज्यों की यात्राओं में हमने आसपास के राज्यों के हितधारकों को भी बुलाया। देश में सभी को प्रस्तावित संशोधनों पर सुझाव देने का मौका मिला।

जगदंबिका पाल ने कहा कि हमने 22 जनवरी तक सदस्यों से सुझाव मांगे थे। 24 और 25 जनवरी को हर संशोधन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। 25 जनवरी को एक मसौदा रिपोर्ट विधायी शाखा को भेजी जाएगी, जो इसके विधायी स्वरूप की जांच करने के बाद इसे वापस भेजेगी। फिर हम इसे स्वीकृत करेंगे।

‘मस्जिदों में तब्दील मंदिरों को वापस दें मुस्लिम’, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष बोले- कुंभ में मुसलमान बैन नहीं, आकर सनातन को देखें

जगदंबिका पाल ने बताया कि यदि कोई असहमति आती है तो हम इसे देखेंगे। 27 जनवरी को अंतिम बैठक होगी ताकि रिपोर्ट को बजट सत्र से पहले मंजूरी मिल सके।

विस्तार से चर्चा के लिए हैं तैयार

बीजेपी सांसद ने कहा कि हमें यह रिपोर्ट शीतकालीन सत्र (पिछले साल) में पेश करनी थी। लेकिन उस समय समिति ने सभी राज्यों का दौरा नहीं किया था। स्पीकर ओम बिरला ने शीतकालीन सत्र से बजट सत्र तक कार्यकाल बढ़ा दिया। अब, हमारी रिपोर्ट तैयार है और हम इस पर विस्तार से चर्चा के लिए तैयार हैं।

‘किसी भी विवादित ढांचे को मस्जिद नहीं कहना चाहिए…’, संभल विवाद के बीच योगी आदित्यनाथ की दो टूक

विचार-विमर्श के बाद बेहतर हुई चीजें

समिति के कई सदस्यों की राय विधेयक के खिलाफ होगी, क्या आपको लगता है कि इस पर सर्वसम्मति बन जाएगी, इसे लेकर
बीजेपी सांसद ने कहा कि सभी सदस्यों और हितधारकों ने अपनी राय और सुझाव दिए। शुरुआत में गतिरोध बहुत ज्यादा था लेकिन चर्चाओं और विचार-विमर्श के बाद चीजें अब बेहतर हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि वक्फ (दानकर्ता) का उद्देश्य गरीबों, पसमांदा मुसलमानों, खवातीन (महिलाओं) को शिक्षा और स्वास्थ्य में फायदा पहुंचाने के लिए अपनी संपत्ति वक्फ के रूप में देने की होती है। लेकिन आज देखा जा रहा है कि वक्फ केवल मुतवल्ली (प्रबंधक) और मालिकों तक सीमित रह गया है। वक्फ संपत्तियों पर मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज कहां बन रहे हैं?

वक्फ की जमीन पर बन रही पुलिस चौकी? ओवैसी के दावों पर आया संभल के DM का बयान

विपक्ष के सदस्य भी हैं संतुष्ट

एनडीए के सहयोगी दलों- जेडीयू और टीडीपी इस विधेयक को लेकर चिंतित थे। अब उनका क्या रूख है। इस सवाल के जवाब में पाल ने कहा कि हमारी कोशिशों से न केवल सहयोगी दल बल्कि विपक्ष के सदस्य भी संतुष्ट हैं। उन्हें लगता है कि एक अच्छे और ऐतिहासिक कानून बनाने के लिए काफी अभ्यास किया गया है। सभी का उद्देश्य यह है कि एक अच्छी रिपोर्ट पेश की जाए और एक अच्छा कानून बनाया जाए।

पाल ने बताया कि इस बारे में ई-मेल, डाक और कोरियर से एक करोड़ से अधिक सुझाव आए हैं। कई लोगों ने मुझे व्यक्तिगत रूप से ज्ञापन भी दिए हैं। उन्होंने बताया कि स्पीकर ने 40 कर्मचारियों की टीम उपलब्ध कराई थी, जिन्होंने हर सुझाव की जांच की।

विधेयक को लेकर लोगों को भड़काया गया

जगदंबिका पाल ने कहा कि विधेयक को लेकर अभियान चलाया गया था। जाकिर नाइक (इस्लामिक विद्वान) जैसे लोगों ने लोगों से अपील की कि वे समिति के पोर्टल पर (बिल को) अस्वीकार करने के लिए ईमेल भेजें। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि अगर एक करोड़ लोग अस्वीकृति वाले ईमेल भेजेंगे तो इस बिल को रिजेक्ट कर दिया जाएगा। ऐसा माहौल बनाया गया कि अगर यह बिल पास हो गया तो मस्जिदें, कब्रिस्तान, इमामबाड़े और ईदगाहों को छीन लिया जाएगा।

बीजेपी सांसद ने कहा कि इससे भ्रम के हालात बने। लोगों ने बिल के बारे में अफवाहें फैलाईं और बड़े-बड़े नेताओं ने भी ऐसे बयान जारी किए। आम मुसलमान जानता है कि यह संशोधन बिल उन्हें उनके किसी भी धार्मिक अधिकार से वंचित नहीं करेगा।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कितनी सीटें जीतेगी BJP? रमेश बिधूड़ी का दावा बढ़ा देगा केजरीवाल की टेंशन। क्लिक कर पढ़िए पूरी खबर।