JNU violence: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जेएनयू की घटना पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने पूरी घटना को मुंबई पर आतंकी हमले जैसा बताया। उन्होंने मांग की कि घटना की उच्चस्तरीय जांच हो और इसमें शामिल नकाबपोश लोगों का पता लगाया जाए। कहा कि जो लोग इसमें शामिल हैं, वे कायर हैं। ऐसे लोगों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
कहा देश में भय का माहौल है : इस मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुंबई में मीडिया से बात करते हुए कहा “मुझे 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले की याद दिला दी गई। यह पता लगाने की जरूरत है कि ये नकाबपोश हमलावर कौन थे।” उन्होंने कहा, “हमलावरों को मास्क पहनने की क्या जरूरत थी? वे कायर थे। मैं टीवी पर देख रहा था और इसने मुझे 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले की याद दिला दी। मैं महाराष्ट्र में इस तरह के हमलों को बर्दाश्त नहीं करूंगा।” “देश में छात्रों में भय का माहौल है, हम सभी को एक साथ आने की जरूरत है और उनमें आत्मविश्वास पैदा करना चाहिए।”
#WATCH Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray on JNU violence: What was the need for attackers to wear masks? They were cowards. I was watching on TV and it reminded me of the 26/11 Mumbai terror attack. I will not tolerate such attacks in Maharashtra pic.twitter.com/LR1kpctk8K
— ANI (@ANI) January 6, 2020
मीडिया को भी रोका, स्ट्रीट लाइटें बुझाईं : प्रदर्शनकारियों ने मीडिया वालों को फोटो लेने और पास में जाने से भी रोका और कथित रूप से स्वराज इंडिया के मुखिया योगेंद्र यादव से हाथापाई भी की। ये सारी घटनाएं 250 से ज्यादा मूकदर्शक बने पुलिस वालों के सामने बिना हस्तक्षेप के होती रही। गेट पर मौजूद कई लोगों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे एबीवीपी (आरएसएस की विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़े हैं, लेकिन वे अपना नाम नहीं बताए। नारेबाजी के दौरान कई बार एबीवीपी और वामपंथी गुट के बीच हाथापाई भी होती रही। हिंसा अंधेरे में हुई। गेट के सामने की सभी स्ट्रीट लाइटें बुझा दी गई थीं।
लेफ्ट गुट के छात्रों ने बनाई मानव श्रृंखला : एक आदमी जिसने एबीवीपी का सदस्य और जेएनयू का छात्र होने का दावा किया था, और खुद का नाम सुरेश बताया, अपने चेहरे पर एक मफलर लपेटे लोहे की रॉड के साथ आया था। उसने कहा, “हमारे एबीवीपी के छात्रों के साथ मारपीट करने के बाद वामपंथी छात्रों ने इस मुद्दे को शुरू किया, जिनकी संख्या आज परिसर में कम थी। हम सिर्फ खड़े होकर नहीं देख सकते हैं और इसलिए जवाब देने का फैसला किया।” रात 10.45 बजे तक पुलिस की संख्या बढ़ने लगी और भीड़ गेट के पीछे की तरफ चली गई। स्ट्रीट लाइटें 11 बजे तक जला दी गईं। तब तक लेफ्ट गुट के छात्रों की संख्या भी बढ़ने लगी और वे मानव श्रृंखला बनाना शुरू कर दिए। एबीवीपी के सदस्यों को पीछे ढकेल “एबीवीपी कैंपस छोड़ो”, “दिल्ली पुलिस शर्म करो” के नारे लगाने लगे।