जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के कुलपति को 11 दिसंबर को अल्टीमेटम दिया गया था कि वे एचआरडी मंत्रालय के शांति फॉर्मूले को अपनाएं या इस्तीफा दे दें। इंडियन एक्सप्रेस को यह जानकारी विश्वस्त सूत्रों से मिली है। कुलपति को अल्टीमेटम दिए जाने के 48 घंटे के भीतर ही उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रह्मण्यम का तबादला कर दिया गया था।
मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित फॉर्मूले के अनुसार, जेएनयू प्रशासन केवल कमरे का बढ़ा हुआ किराया वसूल करेगा तथा सर्विस और यूटिलिटी चार्ज विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) वहन करेगा। इसके बदले छात्र अपने आंदोलन को बंद कर देंगे और विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ बातचीत में शामिल होंगे। इस आंदोलन के दौरान एकेडमिक पीरियड का जो नुकसान हुआ है, उसके लिए जेएनयू को सेमेस्टर को दो सप्ताह तक बढ़ाने के लिए कहा गया था। विश्वविद्यालय को इस बाबत छात्र संघ को जानकारी देने और पुलिस शिकायतों को वापस लेने की भी सलाह दी गई थी।
इस अल्टीमेटम के बाद जगदीश कुमार समझौता करने पर राजी हुए लेकिन एक दिन बाद पीछे हट गए। 13 दिसंबर को सुब्रह्मण्यम का तबादला कर दिया गया और उनकी जगह सूचना और प्रसारण सचिव अमित खरे ने ले ली थी। संयोगवश कुमार ने इस सप्ताह नकाबपोशों द्वारा कैंपस में जारी हिंसा के मद्देनजर अपने इस्तीफे के लिए बुधवार सुबह खरे से मुलाकात की।
हालांकि इस मामले पर मंत्रालय के एक अधिकारी का कुछ और ही कहना है। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार परिसर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुमार को हटाने पर विचार कर रही है, मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, “नहीं। उनके इस्तीफे की मांग की उनके पद की स्थिति को मजबूत बनाती है।”
2017 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति जी सी त्रिपाठी को छुट्टी पर जाने के लिए मजबूर किया था। वजह थी कैंपस में कथित यौन उत्पीड़न की एक घटना को लेकर महिला छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन को कथित रूप से गलत ठहराए जाने के खिलाफ छात्रों ने हथियार उठाए थे।
सुब्रह्मण्यम के मंत्रालय से तबादले के बाद से जेएनयू प्रशासन ने छात्रावास शुल्क में प्रस्तावित सर्विस और यूटिलिटी चार्ज वापस ले लिया है। हालांकि, समझौते फॉर्मूले के अन्य बिंदुओं में से कोई भी लागू नहीं किया गया है। सुब्रह्मण्यम अब समाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय में सचिव हैं। जब उनसे बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी।
खरे के साथ बुधवार की बैठक में कुमार को मीडिया से बात करना और विश्वविद्यालय में “सामान्य स्थिति” बहाल करने के लिए शिक्षकों के साथ एक संवाद शुरू करने की सलाह दी गई। मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के बजाय उन्हें सीधे मीडिया से बात करने की सलाह दी गई। और अगर उन्हें लगता है कि छात्र उनकी बात नहीं सुन रहे हैं, तो उन्हें कोशिश करनी चाहिए और शिक्षकों से बात करनी चाहिए। रविवार को जो हुआ वह कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं था। हम केंद्रीय विश्वविद्यालय में ऐसी स्थिति की उम्मीद नहीं करते हैं।”

