जेएनयू हिंसा के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दिल्ली पुलिस को अहम निर्देश देते हुए कहा कि दो व्हाट्सएप ग्रुपों से जुड़े लोगों के मोबाइल फोन सीज किए जाएं। दरअसल इन ग्रुपों पर आरोप हैं कि जेएनयू में हिंसा से पहले इन व्हाट्सएप ग्रुपों के द्वारा ही भीड़ को इकट्ठा किया गया था। कोर्ट ने पुलिस को कहा है कि वह इन ग्रुपों में शामिल सभी लोगों को समन भेजकर जांच के लिए बुलाए और उनके फोन सीज करे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म गूगल और व्हाट्सएप को भी निर्देश दिए हैं कि वह इन ग्रुपों से संबंधी सभी डाटा जैसे मैसेज, फोटो आदि को संरक्षित करे, ताकि पुलिस जांच में इसकी मदद ली जा सके। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस ब्रिजेश सेठी ने जेएनयू प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि वह जांच में सहयोग करें और पुलिस को मामले से जुड़ी सभी जानकारियां मुहैया कराएं।
बता दें कि जेएनयू प्रोफेसर्स ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर व्हाट्सएप और फेसबुक पर हिंसा से संबंधी डाटा संरक्षित करने संबंधी निर्देश देने की मांग की थी। वहीं कोर्ट के निर्देश पर व्हाट्सएप ने संदेश संरक्षित रखने में अक्षमता जाहिर की थी। व्हाट्सएप का तर्क है कि एनक्रिप्शन सिस्टम होने की वजह से वह मैसेजेस एक्सेस नहीं कर सकती।
दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू यूनिवर्सिटी के तीन प्रोफेसर्स अमीत परमेश्वरन, शुक्ला सावंत और अतुल सूद की याचिका पर सुनवाई करते हुए दो संदिग्ध व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े लोगों के फोन जब्त करने के निर्देश दिए हैं। आरोप है कि व्हाट्सएप ग्रुप ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ और ‘फ्रेंड्स ऑफ आरएसएस’ से जुड़े लोगों पर हिंसा में शामिल होने की आशंका है।
उल्लेखनीय है कि बीती 5 जनवरी को कुछ नकाबपोश लोगों ने जेएनयू कैंपस में घुसकर छात्रों पर लाठी-डंडों से हमला बोला था। इस हमले में कई छात्र घायल हुए थे। लेफ्ट विंग के छात्रों ने हिंसा का आरोप एबीवीपी पर लगाया था। वहीं एबीवीपी ने उल्टे लेफ्ट विंग के छात्रों के हिंसा में शामिल होने की बात कही थी। दिल्ली पुलिस ने अभी तक इस मामले में 44 लोगों की पहचान की है। हालांकि हिंसा के मामले में अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।