जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में रविवार (5 जनवरी) को हुई हिंसा में छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत कम से कम 28 छात्र घायल हो गए थे। उन्हें दिल्ली के एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। घोष ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह हिंसा “फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलन को तोड़ने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है। लगभग 70 दिनों से शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन चल रहा है।”
वीसी को इस्तीफा दे देना चाहिए : आइशी घोष ने आगे कहा कि, ‘मैं इसे हत्या के प्रयास के रूप में देखती हूं, इससे कुछ भी कम नहीं। यह हमारे संकल्प और आंदोलन को तोड़ने के लिए हिंसा की गई थी। यदि वीसी में थोड़ी भी नैतिकता की भावना है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।” जामिया में हिंसा के बावजूद मैंने कभी नहीं सोचा था कि “आरएसएस के गुंडों ” को जेएनयू कैंपस में इस तरह से खुली छूट मिल सकती है।”
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पुलिस को किया था कॉल: रविवार (5 जनवरी) की घटनाओं को याद करते हुए घोष ने कहा कि जेएनयूएसयू पंजीकरण के बहिष्कार के लिए स्कूल के क्षेत्रों में अभियान चला रहा था, इसी दौरान कुछ लोगों द्वारा लाठी डंडों से छात्रों की पिटाई की खबर मिली। इसके तुरंत बाद ही मैंने व्हाट्सएप ग्रुपों पर संदेश भेज इस रास्ते से छात्रों को आने से मना किया। आईशी घोष ने दावा किया है कि साकेत (JNUSU V-P) के साथ चर्चा खत्म करने के बाद शाम 3 बजे SHO और ACP को भी मैसेज किया और उन्हें पुलिस भेजने के लिए कहा। कुछ समय बाद मैंने उनसे फोन पर भी बात की और मुझे उन्होंने आश्वासन दिया कि नकाबपोश लोगों को कैंपस से हटा दिया गया है।
“यहीं काट देंगे,यहीं मार देगे”: उन्होंने आगे बताया कि दो मिनट बाद ही 70-80 नकाबपोश लोगों द्वारा अंधाधुंध हमला किया गया। मैं उस समय अपने दोस्त निखिल (मैथ्यू) के साथ थी। उन्होंने हमें निशाना बनाया और हमारे साथ मारपीट की। इस दौरान कह रहे थे “यहीं काट देंगे,यहीं मार देंगे”। पहला वॉर उन्होंने मेरे सिर के पीछे किया। मुझे लगा कि वे हमें एक बार मारेंगे और छोड़ देंगे, लेकिन वे मेरे सिर पर लगातार मारते रहे। उस समय मुझे यह महसूस भी नहीं हुआ कि मेरे सिर से खून बह रहा है जब तक कि मेरे चेहरे पर नहीं आ गया।
मेरे हाथ काम करना बंद कर दिए थे: छात्र संघ अध्यक्ष ने कहा कि मुझे एहसास हो गया था कि हम जब तक खड़े रहेंगे वे हमे पीटते रहेंगे। इसलिए मैंने निखिल को बैठने के लिए कहा और एक समय बाद हम दोनों बैठ गए। ताकि वे मारना बंद कर दें। इसके बाद वह चले गए। उस समय मेरे हाथ फोन उठाने के लायक भी नहीं थे। किसी दूसरे छात्र ने मेरे लिए एम्बुलेंस को कॉल किया। आइशी ने आगे कहा कि, “यह हमला सिर्फ मेरे ऊपर नहीं हुआ है, यह हमला विश्वविद्यालय के सभी 8,000 छात्रों पर हुआ है।”
वीसी के इस्तीफे की मांग: इस बीच आइशी के पिता देबाशीष घोष ने कहा कि “आज मेरी बेटी पर हमला किया गया, कल किसी और को निशाना बनाया जाएगा। हम उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई चाहते हैं जिन्होंने इस हमले को अंजाम दिया है। ” उन्होंने वीसी के इस्तीफे की भी मांग की।