दिल्ली की एक कोर्ट ने शुक्रवार को देशद्रोह का आरोप झेल रहे जेएनयू स्टूडेंट उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को छह महीने की अंतरिम जमानत दे दी है। दोनों पर आरोप है कि इन्होंने 9 फरवरी को जेएनयू कैम्पस में भारत विरोधी नारे लगाए थे। जमानत देते हुए कोर्ट ने दोनों को 25-25 हजार रुपए का बॉन्ड भरने के लिए भी कहा। दोनों को 23 फरवरी को देशद्रोह के आरोप में जेल भेजा गया था। बुधवार को एडिशनल सेशन जज रीतेश सिंह ने इनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बहस सुनी थी, जिसमें दोनों ने कोर्ट से कहा था कि उन्हें कन्हैया की तरह राहत दी जाए। साथ ही कोर्ट से कहा था कि वे तब से न्यायिक हिरासत में हैं और पुलिस को जांच के लिए उनकी कस्टडी की जरूरत नहीं है।
खालिद और भट्टाचार्य को जमानत मिलने पर जेएनयू कैम्पस में छात्रों द्वारा जश्न मनाया गया। जश्न के दौरान जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने कहा कि इससे साबित होता है कि अभी पूरे देश का भगवाकरण नहीं हुआ है।
पुलिस ने कोर्ट में इनकी जमानत याचिका का विरोध किया था। पुलिस का कहना था कि उमर-अनिर्बान और कन्हैया का केस बहुत अलग है। साथ ही पुलिस ने बताया कि कन्हैया उस समारोह के उमर और अनिर्बान की तरह आयोजक नहीं थे। पुलिस ने साथ ही कोर्ट में बताया कि 10 गवाहों ने इसकी पुष्टि की है कि समारोह में भारत विरोधी नारे लगाए गए थे।