जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी JNU में हॉस्टल फीस बढ़ाने के फैसले को लेकर अंतत: मोदी सरकार को झुकना पड़ा है। विश्वविद्यालय में फीस बढ़ाने को लेकर चल रहे छात्रों के प्रदर्शन के बाद सरकार की तरफ से फीस बढ़ाने के फैसले को वापस ले लिया गया है। इसके अलावा सरकार ने आर्थिक मदद के लिए भी कहा है।

पिछले एक पखवाड़े से जारी प्रदर्शन के बीच जेएनयू ने हास्टल फीस में वृद्धि में बुधवार को आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईब्ल्यूएस) के छात्रों को कमरे के किराये सहित कुछ मदों में रियायत दे दी। साथ ही हास्टल में आने के समय तथा डाइनिंग हाल से जुड़े ड्रेस कोड से जुड़े निर्देश को भी वापस ले लिया गया है ।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ और अध्यापक संघ के सदस्यों ने छात्रावास शुल्क में वृद्धि को ‘‘आंशिक रूप से वापस लेने’’ को ‘दिखावटी’ बताया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव आर सुब्रमण्यम ने ट्वीट किया, ‘‘ जेएनयू कार्यकारिणी परिषद् छात्रावास शुल्क और अन्य नियमों को बहुत हद तक वापस लेने का फैसला करती है। आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईब्ल्यूएस) के छात्रों के लिये आर्थिक सहायता की एक योजना का भी प्रस्ताव किया गया है। कक्षाओं में लौटने का वक्त आ गया है।’

जेएनयू की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईब्ल्यूएस) के पात्र छात्रों के लिये एक बेड वाले कमरे का किराया आंशिक रूप से वापस लेते हुए 300 रूपया कर दिया गया है जिसे पहले 20 रूपये प्रति माह से बढ़ाकर 600 रूपया कर दिया गया था । दो बेड वाले कमरे का किराया अब कम करके 150 रूपया किया गया है जिसे पहले 10 रूपये से बढ़ाकर 300 रूपये प्रति माह किया गया था।

एक मुश्त रिफंडेबल मेस डिपोजिट को सभी वर्गो के लिये पूर्ववत 5500 रूपया कर दिया गया है जो पहले बढ़ाकर 12000 रूपया कर दिया गया था । हास्टल में आने के समय तथा डाइनिंग हाल से जुड़े ड्रेस कोड संबंधी निर्देश को भी वापस ले लिया गया है । इस तरह से आज की बैठक में आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईब्ल्यूएस) के छात्रों के लिये के कमरे के किराये, पानी, बिजली चार्ज तथा सर्विस चार्ज में की गई वृद्धि में 50 प्रतिशत की रियायत दी गई है ।

इसके तहत जेआरएफ, एसआरएफ एवं अन्य छात्रवृत्ति या फेलोशिप प्राप्त अन्य छात्रों को एक सीटर कमरे के लिये 600 रूपये और दो सीटर कमरे के लिये 300 रूपये किराया देना होगा। इससे पहले जेएनयू के  रजिस्टार ने एक बयान में कहा था कि विश्विद्यालय में प्रतिवर्ष पानी, बिजली और सेवा शुल्क पर 10 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से प्राप्त सामान्य धनराशि से चुकाया जाता है।

(भाषा इनपुट के साथ)