केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि, दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (JNU) और कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय को मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी रैंकिंग में जगह इसलिए मिली क्योंकि यहां के छात्र-छात्राओं बेहतरीन प्रदर्शन किया, इसलिए नहीं क्योंकि यहां कुछ लोगों ने देश विरोधी नारे लगाये थे। मानव संसाधन मंत्रालय ने सोमवार (3 अप्रैल) को देश के टॉप विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थाओं की सूची जारी की है। देश के टॉप टेन संस्थाओं में JNU दूसरे नंबर पर जबकि जादवपुर विश्वविद्यालय 5वें नंबर पर है। लेकिन इन्हीं विश्वविद्यालयों में अक्सर देश विरोधी नारे लगने की खबरें आती रहती हैं। 2 अप्रैल को भी जादवपुर विश्वविद्यालय में आजादी के नारे लगे थे। इस बावत जब केन्द्रीय एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने स्टूडेंट्स के अच्छे कामों की तारीफ की है ना कि कुछ लोगों के देश विरोधी नारों की।

मानव संसाधन मंत्रालय की इस रैंकिंग में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISC) बेंगलुरु ने पहला स्थान हासिल किया है। इस बार नंबर 2 पर रहने वाला JNU पिछले साल 3 नंबर पर था। JNU पिछले साल 9 फरवरी को तब विवाद में आ गया था जब यहां कथित रुप से कुछ लोगों ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था और इसमें कथित रुप से देश विरोधी नारे लगाये थे। संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु के समर्थन में आयोजित इस कार्यक्रम में कथित रुप से ‘अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं’, और ‘हिन्दुस्तान तेरे टुकड़े होंगे’ जैसे नारे लगे थे। इस मामले में देशव्यापी धरना प्रदर्शन हुआ था और लोगों ने आयोजन करने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की मांग की थी। बाद में दिल्ली पुलिस ने JNU के तीन छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था। इस मामले में अदालती कार्रवाई अभी चल ही रही है। छात्र संगठन एबीवीपी ने भी इस मामले में प्रदर्शन किया था और आरोपी छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

22 अप्रैल 1969 को स्थापित जेएनयू देश के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में गिना जाता है। और यहां की शैक्षणिक व्यवस्था अतंर्राष्ट्रीय स्तर की मानी जाती है। लेकिन जेएनयू के छात्रों पर कई बार देश के खिलाफ भी बयान देने का आरोप लगता रहता है।