Jharkhand Politics: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हेमंत सोरेन के करीबी चंपई सोरेन के BJP में जाने की अटकलें काफी तेज हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक चंपई सोरेन के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा के 5 से 6 विधायक भी BJP में जा सकते हैं। ऐसे में अगर चंपई सोरेन अपने समर्थक विधायकों के साथ BJP से हाथ मिलाते हैं, तो यह झारखंड सरकार के लिए एक झटका साबित हो सकता है। वही बड़ा सवाल यह है कि क्या इन विधायकों के जाने से हेमंत सोरेन की सरकार गिर जाएगी?
दरअसल, जमीन घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग केस में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उनकी कुर्सी उनके सबसे करीबी और विश्वास पात्र नेता चंपई सोरेन ने संभाली थी। वहीं, इस केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन जब जेल से बाहर निकले तो वह दोबारा मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने 45 विधायकों के साथ विधानसभा के अंदर बहुमत साबित किया था।
क्या BJP से संपर्क में हैं Champai Soren?
सूत्रों के मुताबिक, खबरें यह हैं कि हेमंत सोरेन के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के चलते चंपई सोरेन नाराज चल रहे हैं। दावा यह भी किया जा रहा है कि चंपई सोरेन बीते दिन कोलकाता में पश्चिम बंगाल बीजेपी के दिग्गज नेता सुवेंदु अधिकारी से मिले थे और वह सीधे झारखंड BJP प्रभारी और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के संपर्क में भी हैं।
विधानसभा में कितना है बहुमत का आंकड़ा
झारखंड विधानसभा में सदस्यों की संख्या की बात करें तो यह 82 की है, जिसमें से 81 चुने जाते हैं। वहीं विधायक सीता सोरेन के इस्तीफे और अन्य 4 विधायकों के सांसद बनने के बाद विधानसभा का कुल आंकड़ा 77 रह गया है और बहुमत का आंकड़ा 39 हो गया है।
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गिर सकती है झारखंड सरकार!
ऐसे में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार गिर सकती है हालांकि अगर इन सारे विधायकों को विधानसभा द्वारा ही आयोग्य करार दिया जाता है तो विधानसभा की कुल संख्या 70 रह जाएगी और सरकार को बहुमत हासिल करने के लिए 36 MLAs चाहिए होंगे।
विधानसभा में मौजूदा विधायकों की बात करें, तो JMM के पास 27, कांग्रेस के पास 17, RJD के पास 1 और की के पास 1 विधायक हैं। वहीं विपक्ष की बात करें तो BJP के पास 24, आजसू के पास 3, CPI के पास ,1 और 2 निर्दलीय विधायक हैं। ऐसे में अगर BJP अविश्वास प्रस्ताव लाती है, तो झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार खतरे में पड़ सकती है।
बता दें कि चंपई सोरेन अगर बीजेपी में जाते हैं, तो विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी यह झामुमो और कांग्रेस गठबंधन के लिए झटका हो सकता है क्योंकि चंपई सोरेन की राज्य की सियासत में एक जमीनी नेता के तौर पर जाना जाता है।