संगरूर के सांसद सिमरनजीत सिंह मान की एंट्री पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने रोक लगा दी है। कठुआ के एससएसपी का कहना है कि मान के आने से माहौल बिगड़ सकता है। बताया जाता है कि वो सिखों के एक समागम में हिस्सा लेने आज वहां पहुंचे थे। लेकिन पुलिस ने पहले ही उन्हें रोक दिया। मान सिखों मान ने संगरूर उपचुनाव में जीत हासिल की थी। ये सीट भगवंत मान के सीएम बनने के बाद खाली हुई थी। तभी यहां उपचुनाव हुआ था।
ध्यान रहे कि सिमरनजीत सिंह मान विवादास्द शख्सियत रहे हैं। उनकी पहचान एक कट्टर सिख नेता की है। वो खालिस्तान के हक में आवाज उठाते रहे हैं। पिछले 23 सालों में सिमरनजीत सिंह की यह पहली चुनावी जीत है। लेकिन माना जा रहा है कि उनकी जीत से ऐसी आशंका है कि एक बार फिर से अतिवादी सिख राजनीति को हवा मिल सकती है। ऐसा सोचने के पीछे वाजिब वजह भी है।
मान संगरूर से जीतकर तीसरी बार सांसद बने हैं। कभी आईपीएस अफसर रहे मान ने 1994 में अपनी पार्टी बनाई थी। उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में नौकरी से इस्तीफा दिया था। उसके बाद उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। सिमरनजीत सिंह ने पाँच साल की जेल की सजा भी काटी थी।
शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख मान हाल ही में भगत सिंह को आतंकवादी तक बता दिया था। मान ने भगतसिंह के कार्यों का जिक्र कर कहा कि अंग्रेजी अधिकारी की हत्या और नेशनल असेंबली में बम फेंकने की घटना आतंकवाद सरीखी थी। उन्होंने अपनी टिप्पणी का बचाव करते हुए संसद भवन के बाहर कहा कि सिखों के लिए अलग देश होना चाहिए।
मान ने पहली बार 1989 के लोकसभा चुनाव में तरनतारन से रिकॉर्ड जीत हासिल की। तरनतारन से लोकसभा सदस्य बनने पर उन्हें रिहा किया गया। अरेस्ट होने के बाद वो पांच साल तक भागलपुर की जेल में नजरबंद रहे। उन्होंने वहीं से पर्चा भरा। जीते तो जेल से रिहा हो गए। हालांकि 25 साल बाद 2014 में इसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर उनकी जमानत जब्त हो गई थी। मान ने 1999 में दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीता था। लेकिन फिर भी वो संसद में नहीं पहुंच पाए। कृपाण पर उलझ गए।