जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार में राज्य हो रही हिंसा और आतंकवाद को रोकने में नाकाम रहने पर टकराव की खबरें आ रही है। पीडीपी-बीजेपी के बीच जारी तनाव के मध्य जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्टी शनिवार को दिल्ली पहुंची। महबूबा पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य केंद्रीय नेताओँ से राज्य की स्थिति को लेकर चर्चा करेंगी। सूत्रों का कहना है कि यह बैठकें ही राज्य सरकार का भविष्य तक करेंगी। महबूबा नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली आई हैं। बैठक की अध्यक्षता पीएम मोदी करेंगे। इसके बाद सोमवार सुबह महबूबा और मोदी की मुलाकात होगी। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से फिर से एक राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहेंगी, क्योंकि आयरन हैंड पॉलिसी और सैन्य तरीकों पर एकमात्र निर्भरता काम नहीं करेगा। दोनों दलों के बीच पैदा हुए तनाव को खत्म करने के लिए संवाद स्थापित करेंगी।
रविवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह के साथ होने वाली मुलाकात के दौरान महबूबा मुफ्ती कई अहम विषयों पर चर्चा करेंगी। पीडीपी के वरिष्ठ नेता ने संडे एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि हमें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। किसी भी मुद्दे पर दोनों गठबंधन पार्टियों के बीच थोड़ी सी भी सहमति नहीं है। केंद्र सरकार ने हर मुद्दे पर कड़ा रूख अपनाया हुआ है, जो कि हमारे लिए मुद्दों को और अधिक जटिल बना रही है। उन्होंने आगे कहा कि अगर मुख्यमंत्री बीजेपी को राजी करने में नाकाम साबित होती हैं तो सरकार पर अस्तित्व बचाने का दबाव होगा।
घाटी में सुरक्षा के बिगड़ते हालात के बीच शुक्रवार को भाजपा महासचिव राम माधव ने गठबंधन सहयोगी पीडीपी के वरिष्ठ नेता हसीब द्राबू के साथ एक बैठक की। दोनों गठबंधन सहयोगियों में बढ़ते तनाव के बीच यह बैठक हुई। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष में भी दो दिन के दौरे पर राज्य में आ रहे हैं। शाह के इस दौरे को अहम माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि शाह के दौरे के बाद ही बीजेपी अपना रुख साफ करेगी। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों बीजेपी के कोर ग्रुप ने कश्मीर में “बिगड़ती” स्थिति पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि विचार-विमर्श में बीजेपी नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि इस स्थिति में केंद्र को राष्ट्रपति शासन लागू करने पर भी विचार करना चाहिए। बीजेपी खेमे के कुछ लोगों का मानना है कि राज्य की महबूबा सरकार अलगाववादी हिंसा से सख्ती से निपटने में नाकामयाब रही है।
