जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। तारीखों का ऐलान हो चुका है। चुनाव तीन चरणों में होने हैं, पहला चरण 18 सितंबर, दूसरा 25 सितंबर और तीसरा चरण 1 अक्तूबर को है। अब सबसे अहम सवाल यह है कि आखिर चुनाव से ठीक पहले किस राजनीतिक पार्टी की क्या स्थिति है? जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। यह सरकार 2018 तक चली और भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से अपना समर्थन वापस लेने के बाद सरकार भंग कर दी गई थी।

पिछले विधानसभा चुनावों के बाद जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों का फिर से परिसीमन किया गया है। 2022 में परिसीमन आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में सात विधानसभा सीटें जोड़ीं हैं जिससे कुल सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है। अब जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें हैं, जिनमें से नौ सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। अबतक हुए चुनावों में किस पार्टी का रहा दबदबा, यह आप इस आर्टिकल के जरिए समझ पाएंगे।

1951 से 2002 तक: नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का रहा दबदबा

साल 1951 में जम्मू-कश्मीर में हुए पहले विधानसभा चुनाव से लेकर 2002 तक नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में प्रमुख पार्टियां थीं। 2002 में पहली बार पीडीपी कांग्रेस के साथ गठबंधन में सत्ता में आई, जिसके तहत दोनों को तीन-तीन साल के लिए सीएम पद संभालना था क्योंकि अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर में छह साल की सरकार हुआ करती थी। जम्मू-कश्मीर में 1951 से लेकर अबतक नौ अलग-अलग मौकों पर केंद्रीय शासन लागू किया गया।

साल 2008 में बीजेपी ने पहली बार रखा कदम

नेशनल कांफ्रेस ने 2008 के विधानसभा चुनावों में 23.07 फीसदी वोट शेयर से 28 सीटें जीतकर जीत हासिल की और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाई। 87 सीटों वाली विधासभा में 17 सीटें कांग्रेस को मिली थीं। जबकि पीडीपी को 15.39 फीसदी वोट शेयर से 21 सीटें मिली थीं। यह अहम चुनाव इसलिए भी था क्योंकि इस चुनाव में भाजपा ने 12.45 फीसदी वोटो वोट शेयर से 11 सीटें जीती थीं।

साल 2014 के चुनाव

साल 2014 के विधानसभा चुनावों में चार-तरफा मुकाबला था। इस चुनाव में पीडीपी 23.85 फीसदी वोट शेयर के साथ 28 सीटों (सभी कश्मीर में) के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। भाजपा 26.23 फीसदी वोट शेयर के साथ 25 सीटों (सभी जम्मू में) के साथ दूसरे स्थान पर थी। हालांकि दोनों पार्टियां वैचारिक रूप से एक दूसरे से बिल्कुल अलग थीं, लेकिन मुफ़्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली पीडीपी ने भाजपा के साथ गठबंधन करने का फैसला किया। इस चुनाव में नेशनल कांफ्रेस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं।

हालांकि जून 2018 में भाजपा और पीडीपी के बीच बढ़ते मतभेदों के बाद भाजपा ने महबूबा मुफ़्ती के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया, उसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

जम्मू-कश्मीर में सरकार गिरने के बाद पहला बड़ा चुनाव इस साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव था। भाजपा ने घाटी की तीन सीटों पर चुनाव न लड़ने का फैसला किया था और केवल जम्मू की दो सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक विधानसभा क्षेत्रों में पार्टियों के प्रदर्शन से पता चलता है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और उसने कांग्रेस और पीडीपी के समर्थन से गठबंधन सरकार बनाने लायक सीटें जीती हैं।

लोकसभा चुनावों में नेशनल कांफ्रेस ने 34 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की है। इसके बाद भाजपा ने 29 सीटों पर बढ़त हासिल की है। ​​कांग्रेस को सात विधानसभा सीटों पर जीत मिली है। पीडीपी पांच सीटों पर और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस एक सीट पर रही है। ऐसे में कांग्रेस, एनसी और पीडीपी बतौर इंडिया गठबंधन के सरकार बना सकते हैं।