जम्मू-कश्मीर की एक अदालत ने कुछ न्यूज चैनलों के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाते हुए FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह कार्रवाई इस वजह से की है क्योंकि इन चैनलों ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की गोलीबारी में मारे गए जम्मू-कश्मीर के पुंछ निवासी मोहम्मद इकबाल को लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी बताया था।
मोहम्मद इकबाल पुंछ के कारी मोहल्ले में रहते थे लेकिन न्यूज चैनलों ने उन्हें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के कोटली में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी के रूप में दिखाया था।
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था और पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी। इसके बाद पाकिस्तान की गोलीबारी में जामिया जिया उल-उलूम मदरसे के 55 साल के शिक्षक कारी मोहम्मद इकबाल की मौत हो गई थी।
पुंछ पुलिस ने दी थी चेतावनी
इकबाल की मौत के बाद परिवार वालों को इस बात से सदमा लगा था कि कुछ न्यूज चैनलों ने उन्हें लश्कर का आतंकवादी बताया और कहा गया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में उनकी मौत हुई है। पुंछ पुलिस ने इस मामले में तुरंत स्पष्टीकरण जारी किया था और मीडिया चैनल और सोशल मीडिया हैंडल्स को चेतावनी दी थी कि वे गलत सूचना न दें।
इस मामले में मोहम्मद इकबाल के परिवार के सदस्यों ने अपने वकील के जरिए दोनों न्यूज चैनलों को कानूनी नोटिस भेज कर पांच-पांच करोड़ रुपए का हर्जाना देने की मांग की थी।
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क्या कहा कोर्ट ने?
पुंछ के उप न्यायाधीश/विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट सजफीक अहमद ने कहा, ‘समाचार चैनलों द्वारा बाद में माफी मांगी गई लेकिन इससे पहले की गई गलती ठीक नहीं होती है।’ जज ने पुंछ पुलिस स्टेशन के SHO को निर्देश दिया कि वह BNS, 2023 की धाराओं के तहत FIR दर्ज करे।
जज ने अपने आदेश में कहा, ‘हालांकि प्रेस की आजादी संविधान के आर्टिकल 19(1)(a) के तहत लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन आर्टिकल Article 19(2) के तहत इस पर कुछ प्रतिबंध भी हैं।’
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जज ने कहा, ‘इस मामले में स्थानीय धार्मिक मदरसे के शिक्षक को बिना किसी वेरिफिकेशन के पाकिस्तानी आतंकवादी बताने को केवल पत्रकारिता की गलती नहीं कहा जा सकता। इस तरह का व्यवहार मानहानि के जैसा है। इससे सामाजिक सद्भाव बिगड़ सकता है और मृतक और वह जिस संस्थान में था, उन दोनों की प्रतिष्ठा को नुकसान हो सकता है।’
इस मामले में एडवोकेट शेख मोहम्मद सलीम ने याचिका दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि न्यूज चैनलों ने न केवल उनका नाम और फोटो दिखाई बल्कि उन्हें लश्कर का आतंकवादी बताया और उन्हें 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले से जोड़ दिया।
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